यूपी: शौचालयों से प्राथमिक विद्यालयों में बढ़ा नामांकन, पर जानें किस तरह की कमियां अब भी हैं, रिपोर्ट

राज्यभर के प्राथमिक विद्यालयों में लड़कियों के लिए शौचालयों की संख्या 61 प्रतिशत थी, जो इस साल नवंबर में बढ़कर 97 फीसदी हो गई. स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति 2016-17 में 1.52 करोड़ की तुलना में 2022-23 में बढ़कर 1.91 करोड़ पर पहुंच गई. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 20, 2022, 01:36 PM IST
  • बुनियादी ढांचे पर जोर से प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन और उपस्थिति बढ़ी है
  • लड़कियों के लिए शौचालयों की संख्या 61% थी, जो इस साल 97 फीसदी हो गई
यूपी: शौचालयों से प्राथमिक विद्यालयों में बढ़ा नामांकन, पर जानें किस तरह की कमियां अब भी हैं, रिपोर्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों के नामांकन और उपस्थिति में भारी वृद्धि हुई है. लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनवाने और अन्य बुनियादी ढांचा विकसित करने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नीत सरकार की पहल से यह असर हुआ है. राज्‍य सरकार की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. 

36 फीसदी शौचालच बढ़े
नवंबर 2019 में राज्यभर के प्राथमिक विद्यालयों में लड़कियों के लिए शौचालयों की संख्या 61 प्रतिशत थी, जो इस साल नवंबर में बढ़कर 97 फीसदी हो गई. दूसरी तरफ स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति 2016-17 में 1.52 करोड़ की तुलना में 2022-23 में बढ़कर 1.91 करोड़ पर पहुंच गई. प्राथमिक विद्यालयों में कई हैंडवाश यूनिटों की स्थापना सहित अन्य बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया गया है. 

कई समस्याएं अब भी हैं
हालांकि, जिलों की रिपोर्ट ने शौचालयों के रखरखाव में आने वाली समस्याओं को उजागर किया है. कई स्कूलों के छात्रों और स्थानीय लोगों ने शिकायत की है. कहा गया, शौचालय या तो बंद रखे जाते हैं या फिर रोजाना उनकी सफाई नहीं होती. 

कई स्कूलों में एक से अधिक शौचालय
बलिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बेसिक शिक्षा परिषद के तहत 2,249 स्कूल हैं. जिला समन्वयक (निर्माण) सत्येंद्र राय ने बताया कि हर स्कूल में छात्राओं के लिए कम से कम एक शौचालय है, जबकि कुछ में उनके लिए एक से अधिक शौचालय बनाए गए हैं. बिल्थर रोड स्थित एक सरकारी स्कूल की छात्रा ज्योति ने बताया कि लड़कों और लड़कियों, दोनों के लिए एक पंक्ति में तीन शौचालय हैं, लेकिन उनका प्रवेश द्वार एक होने से छात्राओं को असहज महसूस होता है.

क्या कहती हैं छात्राएं, शिक्षक और अधिकारी
एक ही स्कूल में पढ़ने वाली तान्या और अनुराधा ने कहा कि शौचालयों की कभी-कभार ही सफाई होती है. ककरासो गांव के सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य सुशील यादव ने बताया, “चार शौचालयों वाले स्कूल में 514 छात्र-छात्राएं हैं. विभाग ने कोई भी सफाई कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराया है, इसलिए उन्हें ग्राम पंचायत के कर्मचारियों पर निर्भर रहना पड़ता है.” 

झांसी के अधिकांश स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय हैं. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नीलम यादव ने कहा कि ग्राम प्रधान या प्रधानाध्यापक शौचालयों को साफ करने की व्यवस्था करते हैं. 

दिखोली की कक्षा पांच की एक छात्रा ने कहा कि शौचालय बनने के बाद शौच के लिए घर जाने की जरूरत नहीं पड़ती. शाहजहांपुर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले में 2,720 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से 2,704 में पिछले साल नए शौचालय बनाए गए थे. 

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि पंचायत के सफाई कर्मचारी स्कूलों में मौजूद शौचालयों की सफाई करते हैं. भूमि उपलब्ध नहीं होने के कारण कुछ विद्यालयों में शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है. जलालाबाद बाड़ा ब्लॉक के कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि स्कूलों में शौचालय ज्यादातर समय बंद रहते हैं, जिससे खेतों में जाने को मजबूर होना पड़ता है. 

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के 1.33 लाख प्राथमिक विद्यालयों में 19 बुनियादी सुविधाओं को और मजबूत करने के लिए जून 2018 में ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ शुरू किया था. इसमें स्कूलों में विशेष जरूरतों वाले बच्चों (दिव्यांगों) के लिए मूत्रालय के साथ-साथ लड़कों और लड़कियों के अलग शौचालयों, स्वच्छ पेयजल, हाथ धोने की इकाइयों, कार्यात्मक बिजली कनेक्शन, कक्षाओं में फर्नीचर और अन्य चीजों के साथ चारदीवारी के निर्माण की व्यवस्था की गई. 

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