नई दिल्ली: AK-47 History: जब भी किसी बंदूक का नाम लेना होता है, तो लोगों की जुबान पर सबसे पहले 'AK-47' का नाम आता है. ये दुनिया की सबसे पॉपुलर बंदूकों में से एक है. इसकी चर्चा दुनियाभर में रहती है. ज्यादातर आतंकवादी संगठनों से जुड़े आतंकी भी यही बंदूक रखते हैं. चलिए 'AK-47' बनने की पूरी कहानी जानते हैं.
कैसे बनी थी AK-47?
दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ को ऐसा महसूस हुआ कि उन्हें एक सस्ते, टिकाऊ और मजबूत हथियार की जरूरत है, जिसे एक जगह से दूसरी जगह कैरी करना आसान हो. सोवियत संघ की इस जरूरत को सोवियत सैनिक और इंजीनियर मिखाइल कलाश्निकोव ने पूरा किया. मिखाइल ने ही AK-47 का डिजाइन तैयार किया गया था. AK-47 का पूरा नाम है 'Avtomat Kalashnikova' है. बंदूक के नाम में मिखाइल कलाश्निकोव के नाम को भी जगह मिली थी. इस बंदूक को साल 1947 में तैयार किया गया, इसलिए इसके नाम में 47 लिया गया.
मिखाइल घायल हुए, फिर बनाई बंदूक
मिखाइल कलाश्निकोव केवल 19 साल की उम्र में सोवियत सेना में भर्ती हुए थे. साल 1941 में दूसरे विश्व युद्ध में हिटलर ने सोवियत संघ पर हमला किया. तब मिखाइल घायल हो गए, क्योंकि जिस टैंक को वह चला रहे थे, उसमें आग लग गई थी. जब वह अस्पताल में भर्ती थे, तभी उन्हें ये बंदूक बनाने का आईडिया आया. मिखाइल ने 28 साल की उम्र में ही AK-47 बनाकर तैयार कर दी थी.
AK-47 की खास बातें
- AK-47 में एक बार में 30 गोलियां भरी जा सकती हैं
- इसकी गोली की रफ्तार 710 मीटर प्रति सेकंड होती है
- ये बंदूक एक सेकंड में 6 गोली चलाती है
- एक मिनट में इस बंदूक से 600 राउंड फायर हो सकते हैं
- इसे साफ करना और मेंटेन करना बहुत आसान है
- पूरी तरह लोड होने के बाद भी इसका वजन 4 किलो ही होता है
ये भी पढ़ें- वो वरदान, जो बना सकता था पाकिस्तान को दुबई जितना अमीर...अब बना सबसे बड़ी परेशानी!
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.