स्मोकर्स से ज्यादा नॉन स्मोकर्स को क्यों हो रहा है Lungs Cancer? वजह कर देगी हैरान
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स्मोकर्स से ज्यादा नॉन स्मोकर्स को क्यों हो रहा है Lungs Cancer? वजह कर देगी हैरान

"भारत में फेफड़ों के कैंसर के अधिकांश रोगी नॉन स्मोकर्स यानी सिगरेट न पीने वाले हैं. इसकी वजह वायु प्रदूषण का बढ़ता संपर्क है." ये हम नहीं कह रहे, बल्कि हाल ही में पब्लिस हुई लैंसेट के ई-क्लिनिकल मेडिसिन जर्नल के की एक रिसर्च कह रही है. 

स्मोकर्स से ज्यादा नॉन स्मोकर्स को क्यों हो रहा है Lungs Cancer? वजह कर देगी हैरान
राष्ट्रीय राजधानी प्रदूषण का भयंकर कहर झेल रहा है. आसमान में प्रदूषण की सफेद चादर बीछी हुई है. दिल्ली में एयर क्वालिटी लगातार खराब श्रेणी में बना हुआ है. इसके कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लगभग आठ दिनों से दिल्ली भयंकर वायु प्रदूषण की गंभीर मार झेल रहा, जिसके बाद विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में सिगरेट न पीने वालों को वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों का कैंसर हो रहा है. 
 

नॉन स्मोकर्स में फेफड़े के कैंसर का कारण

यूनिक हॉस्पिटल कैंसर सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉ. आशीष गुप्ता ने IANS को दी जानकारी में बताया जो कि भारत में फेपड़े के कैंसर के मरीज स्मोकर्स से ज्यादा नॉन स्मोकर्स हैं. आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर का कारण सिगरेट, पाइप या सिगार पीना है. लेकिन भारत में ये सब न करने वालों में कैंसर के बढ़ते मामले देखने को मिल रहे हैं. इसका मुख्य कारण पैसिव स्मोकिंग, रेडॉन, वायु प्रदूषण, एस्बेस्टस (अभ्रक) और पारिवारिक इतिहास शामिल है. साथ ही लंबे समय तक PM (पार्टिकुलेट मैटर) के संपर्क में रहने से भी फेफड़ों की सेल्स में बदलवा हो जाते हैं, जिससे अनियंत्रित रूप से सेल्स ग्रोथ हो सकती है. 
 

नॉन स्मोकर्स में होने वाला फेफड़े का कैंसर

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में हेमटोलॉडी और बोन मैरी ट्रांसप्लांट के प्रिंसिपल डायरेक्टर, डॉ राहुल भार्गव ने भी IANS से बात करते हुए बताया कि सिगरेट न पीने वालों में फेफड़ों के कैंसर होने का सबसे आम प्रकार एडेनोकार्सिनोमा है. इसमें आमतौर पर कैंसर फेफड़ों के बाहरी क्षेत्रों से शुरू होता है. कैंसर का ये प्रकार वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर का कारण है. लंबे समय तक जहरीली गैसों और पीएम 2.5 के संपर्क में रहने से फेफड़ों के टिशू पर असर पड़ने लगता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
 

प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के साथ लोगों में कई श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है. लोगों को अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) की शिकायत हो रही है. फिक्की-हेल्थ एंड सर्विसेज के अध्यक्ष डॉ. हर्ष महाजन के अनुसार इस महीने सांस से जुड़ी समस्याओं की शिकायतों में 20% का इजाफा हुआ है. इसमें अधिकतर मरीज सांस लेने में तकलीफ या प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं. 
 

प्रिवेंटिव मेजर्स

जहरीली हवा से खुद को बचाने के लिए विशेषज्ञों ने कई प्रिवेंटिव मेजर्स को अपनाने पर जोर दिया है. 
1. एन 95 मास्क का इस्तेमाल
2. घर से बाहर निकलने से बचे
3. हवा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए घर पर घरेलू एयर प्लूरीफायर का इस्तेमाल करें
 
विशेषज्ञों ने इस मुश्किल वक्त में सेहत पर खास ध्यान देने की सलाह दी है. साथ ही सांस फूलने, लगातार खांसी या सीने में दर्द जैसे लक्षणों को बीना नजरअंदाज किए, तुरंत डॉक्टरों की सलाह लेने की बात कही है.

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