Dementia and Alzheimer: विश्व अल्जाइमर दिवस के मौके पर एम्स में आयोजित एक कार्यशाला के दौरान एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की डॉ. मंजरी त्रिपाठी एवं अन्य डॉक्टरों ने इस बिमारी के सभी पहलुओं पर चर्चा कर लोगों में इसे लेकर जागरुकता पैदा करने पर बल दिया है.
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नई दिल्लीः अब तक ऐसा माना जाता रहा है कि डिमेशिया या अल्जाइमर ( Dementia and Alzheimer) जैसी बिमारियां सिर्फ बुजर्गों को ही होती है, लेकिन नए रिसर्च से खुलासा हुआ है कि अब कम उम्र के लोग भी तेजी से इस बिमारी की चपेट में आते जा रहे हैं. अब 60 से कम उम्र के लोग और युवा वर्ग भी इस बिमारी के शिकार हो रहे हैं. इस बिमारी में लोगों की याददाश्त कमजोर (Memory weakened) पड़ने लगती है. मरीज बेहद मामूली और छोटी-छोटी बातें भूलने लगता है. लेकिन इस बिमारी के बारे पब्लिक डोमेन में बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध न होने के कारण लोग इसके बारे में जान नहीं पाते हैं. देश में इस वक्त 60 लाख मरीज इस बीमारी के शिकार हैं, लेकिन सरकार की कोई स्पष्ट नीति न होने की वजह से इस बिमारी को लेकर जागरुकता और उपचार की दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है.
क्या है इस बिमारी के लक्षण ?
इस बिमारी में मरीज की याददाश्त धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगती है. वह कोई भी सामान कहीं रखकर भूल जाता है. मरीज कोई भी छोटी-मोटी समस्या आने पर भी उसे हल नहीं कर पाता है. प्रतिदिन के काम को करने में भी उसे दिक्कत होने लगती है. समय, तारीख और स्थान को लेकर उसे हर वक्त कन्फूयजन रहती है. मूड में अचानक परिवर्तन होने लगता है. किसी आदमी का नाम याद नहीं रख पाता है. बुढ़ापा होने पर रियश्तेदारों के भी चेहरे भूलने लगते हैं इसके मरीज. मरीज कोई बड़ी प्लानिंग नहीं कर पाता है, कोई बड़े फैसले नहीं ले पाता है. वह खुद को अपने काम और सोशल एक्टिविटी से दूर कर लेता है. छोटा-मोटा हिसाब-किताब भी नहीं रख और कर पाता है. इन लक्षणों से ऐसे मरीजों को आसानी से पहचाना जा सकता है.
क्या है इस बिमारी का इलाज ?
एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की डॉ. मंजरी त्रिपाठी कहती है, यह बिमारी मरीज के दिमाग में होने वाले कुछ रासायनिक परिवर्तनों के कारण होती है. युवाओं में नींद कम लेनी की आदत और उनके दिनचर्या में आ रहे बदलाव इस बिमारी के प्रमुख कारण हैं. डॉ. मंजरी कहती हैं, ’’इस बिमारी का पूर्ण उपचार मौजूद हैं. शर्त यह है कि मरीज अपनी शिकायत लेकर सही डॉक्टर के पास पहुंचे.’’ उन्होंने कहा कि इस तरह के लक्षण अगर घर के किसी सदस्य में प्रकट हो रहे हैं, तो तुरंत उन्हें किसी न्यूरोलॉजिस्ट के पास दिखाना चाहिए. उपचार जल्दी शुरू होने पर यह बिमारी ठीक हो जाती है. इसके लिए ढेर सारी दवाईयां उपलब्ध हैं.
इस तरह जिंदगी गुजारेंगे तो पास नहीं फटकेगी डिमेंशिया और अल्जाइमर
डॉ. मंजरी त्रिपाठी कहती हैं, इस बिमारी से बचना है, तो रोजना 7 से 8 आठ घंटें की नींद जरूर लें. गहरी नींद में सोना अपने आप में कई दिमागी बिमारियों का इलाज होता है. रोजाना कम से कम 20 मिनट का एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए. इसमें आप चहलकदमी, योगा, व्यायाम, रस्सी कूदना, एरोबिक्स, तैराकी, साइकलिंग या अपने पसंद का कोई भी एक्सरसाइज कर सकते हैं. रोजाना हरी सब्जियों, ताजे मोसमी फलों और भरपूर मात्रा में सलाद का सेवन करना चाहिए. एवोकाडो, बादाम, नारियल, अखरोट, सरसो और ऑलिव आयल का सेवन करना चाहिए. जिंदगी में फालतू के और नाहक में तनाव न लें, जितनी आपकी क्षमता है, उसी के मुताबिक अपना काम करें. लगातार बैठकर काम न करें. बीच-बीच में चलते-फिरते रहें. अपना वजन हमेशा नियंत्रण में रखें. ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर को बढ़ने न दें. जिंदगी रूटीन के साथ जियें. म्यूजिक, पेंटिंग, रीडिंग, कूकिंग जैसे शौक को बढ़ाएं. उसे पूरा करने के लिए काम करें. जीवन में होने वाले बदलावों को स्वीकार करें. हमेशा कुछ अच्छा पढ़ने, सीखने और करने के लिए तैयार रहें. अपने आप को जड़ न होने दें. एक्टिव लाइफ जीने की कोशिश करें. इससे अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बिमारियों से आसानी से बचा जा सकता है.
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