Delhi News: शाही ईदगाह मैनेजमेंट कमेटी ने दिल्ली के सदर बाजार स्थित शाही ईदगाह पार्क में रानी लक्ष्मीबाई की स्टेच्यू लगाने के खिलाफ पिटीशन दाखिल की थी, जिसपर आज सुनवाई हुई. कोर्ट ने कमेटी को फटकार लगाते हुए कहा कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई "राष्ट्रीय गौरव" हैं और इतिहास को 'सांप्रदायिक राजनीतिक’ आधार पर बांटना नहीं चाहिए.
Trending Photos
Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मैनेजमेंट कमेटी को "निंदनीय दलीलें" देने के लिए फटकार लगाई है. कोर्ट ने बुधवार को कहा कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई "राष्ट्रीय गौरव" हैं और इतिहास को 'सांप्रदायिक राजनीतिक’ आधार पर बांटना नहीं चाहिए. दरअसल, कमेटी ने सदर बाजार स्थित शाही ईदगाह पार्क में रानी लक्ष्मीबाई की स्टेच्यू लगाने के खिलाफ पिटीशन दाखिल की है, जिसपर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने कहा कि कमेटी का इरादा कोर्ट के जरिए से कम्युनल पॉलिटिक्स करना है और मामले को मजहबी रंग दिया जा रहा है.
मनोनीत चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा, "इसे मजहबी रंग दिया जा रहा है. यह गर्व की बात है कि आपके पास यह स्टेच्यू है. वे सभी धार्मिक सीमाओं से अलग एक राष्ट्रीय गौरव हैं और आप यह मजहबी बुनियाद पर कर रहे हैं. इतिहास को सांप्रदायिक राजनीति के आधार पर न बांटें."
अदालत ने पिटीशनर्स को माफीनामा देने का दिया आदेश
सिंगल जज के आदेश को चुनौती देने वाली कमेटी की अपील पर सुनवाई कर रही बेंच ने यहां सदर बाजार स्थित शाही ईदगाह पार्क में ‘झांसी की रानी’ की स्टेच्यू स्थापित करने पर रोक लगाने संबंधी पिटीशन को इस बुनियाद पर खारिज कर दिया कि याचिका में कोई कारण नहीं बताया गया है. इस दौरान कोर्ट ने अपील में सिंगल बेंच के जस्चिस के खिलाफ लिखे कुछ पैराग्राफ पर आपत्ति जताई और कहा कि वे "विभाजनकारी" हैं. पीठ ने कहा, "कोई शख्स सौफ तौर से अपना आपा खो चुका है. जो शख्स ऐसा कर रहा है, वह पूरी तरह से बहक गया है. याचिकाकर्ता कम्युनल पॉलिटिक्स में लिप्त है और अदालत को भी इसमें घसीट रहा है. अदालतें सांप्रदायिक राजनीति में शामिल नहीं होती हैं. लिखित माफी मांगिए. आप जो कर रहे हैं, वह सही नहीं है."
यह भी पढ़ें:- चार मंजिला इमारत वैध तो मस्जिद कैसे हुई अवैध; AIMIM नेता ने शिमला के संजौली मस्जिद पर खड़े किये सवाल
अदालत ने कहा, "सिंगल बेंच के जस्टिस के लिए इस्तेमाल किए गए अलफाजों को देखें. कृपया इन दलीलों को वापस लें और हमें माफीनामा दें. यह निंदनीय है. बिल्कुल निंदनीय. अदालत के जरिए कम्युनल पॉलिटिक्स की जा रही है. ऐसा मालूम होता है कि इसका मकसद अदालत के जरिए से सांप्रदायिक राजनीति करना है. रानी लक्ष्मीबाई का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है. अगर जमीन आपकी थी, तो आपको स्वेच्छा से आगे आना चाहिए था."
कब होगी अगली सुनवाई?
वहीं, मस्जिद कमेटी तरफ पेश वकील ने माफी मांगते हुए कहा कि ऐसी मंशा नहीं थी. उन्होंने साथ ही कहा यह कि अपील सियासत से प्रेरित नहीं है. वकील ने कहा कि जमीन मैनेजमेंट कमेटी की नहीं है और उसे केवल शाही ईदगाह को लेकर चिंता है. दिल्ली सरकार की तरफ से पेश स्थायी अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि पिटीशन में न्यायाधीशों समेत किसी के खिलाफ सख्त बयान देना चलन हो गया है और "लोग नहीं जानते कि कैसे सिंगल जस्टिस या न्यायाधिकरण को संबोधित किया जाए." अदालत ने इसी के साथ मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को लिस्टेड कर दी.