देश में न हो संभल जैसा मामला, इसलिए मुस्लिम संगठन पहुंचा सुप्रीम कोर्ट; की ये मांग
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2532632

देश में न हो संभल जैसा मामला, इसलिए मुस्लिम संगठन पहुंचा सुप्रीम कोर्ट; की ये मांग

Sambhal Case in Supreme Court: संभल मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मुस्लिम संगठन जमीयत इसलिए सुप्रीम कोर्ट गया है ताकि संभला जैसा मामला दोबारा देश में न हो.

देश में न हो संभल जैसा मामला, इसलिए मुस्लिम संगठन पहुंचा सुप्रीम कोर्ट; की ये मांग

Sambhal Case in Supreme Court: जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश के संभल जैसी घटना को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मौलाना अरशद मदनी ने कहा, "पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए कानून के वास्तविक स्वरूप को लागू करने की कमी के कारण देश में संभल जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. इन घटनाओं को रोका जाना बहुत जरूरी है. पूजा स्थल अधिनियम-1991 के बावजूद निचली अदालतें मुस्लिम पूजा स्थलों का सर्वे करने के आदेश जारी कर रही हैं, जो कि कानून का उल्लंघन है."

सुप्रीम कोर्ट पहूंचा संभल मामला
उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पूजा स्थलों की सुरक्षा के कानून की सुरक्षा और उसके प्रभावी कार्यान्वयन (लागू) के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर पिछले एक साल से कोई सुनवाई नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र की मोदी सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए कई बार मोहलत दी थी, लेकिन मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी. अब संभल की घटना के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अपील की है और जल्द से जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया है.

पुलिस की बरबरता
मौलाना अरशद मदनी ने संभल में पुलिस फायरिंग की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पुलिस की बर्बरता का एक लंबा इतिहास है, चाहे वह मलियाना हो या हाशिमपुरा, मुरादाबाद, हलद्वानी या संभल, हर जगह पुलिस का एक ही चेहरा देखने को मिलता है. पुलिस का काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना और लोगों के जीवन तथा संपत्ति की रक्षा करना है. लेकिन, दुर्भाग्य से पुलिस शांति की वकालत करने की बजाय अल्पसंख्यकों और विशेषकर मुसलमानों के साथ एक पार्टी की तरह व्यवहार करती है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह याद रखना चाहिए कि न्याय का दोहरा मापदंड अशांति और विनाश का रास्ता खोलता है. इसलिए, कानून का मानक सभी के लिए समान होना चाहिए. किसी भी नागरिक के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. इसकी इजाजत ना तो देश का संविधान देता है और ना ही कानून.

यह भी पढ़ें: "जब आप जीतते हैं तो EVM के साथ छेड़छाड़ नहीं होती है", बैलट पेपर से चुनाव की मांग पर SC

संभल में अराजकता
मौलाना ने कहा कि संभल में अराजकता, अन्याय और क्रूरता की एक जीती-जागती तस्वीर है, जिसे न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया के लोग अपनी आंखों से देख रहे हैं. अब नौबत गोलियों तक पहुंच गई है. कैसे संभल में बिना उकसावे के सीने में गोली मार दी गई. कई वीडियो वायरल हो चुके हैं, लेकिन अब एक बड़ी साजिश के तहत प्रशासन ये बताने की कोशिश कर रहा है कि जो लोग मारे गए, वो पुलिस ने नहीं, बल्कि किसी और की गोली से मरे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या पुलिस ने गोली नहीं चलाई, जबकि पुलिस की बंदूकों से गोलियों की बारिश हो रही थी, पूरी सच्चाई कैमरे में कैद है.

अवैध हथियारों से मौत
उन्होंने कहा कि पुलिस को बचाने का मतलब है कि पुलिस ने मुस्लिम युवाओं को मारने के लिए अपनी रणनीति बदल दी है. इसके लिए उन्होंने अवैध हथियारों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. सिर्फ एक संभल ही नहीं देश के कई जगहों पर जिस तरह से विवाद हो रहे हैं, हमारे पूजा स्थलों के बारे में और जिस तरह से स्थानीय न्यायपालिका इन मामलों में गैर-जिम्मेदाराना फैसले ले रही है, वह 1991 में लाए गए धार्मिक पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है.

बाबारी मस्जिद मामला
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विवाद पर जो फैसला सुनाया है, वह अपमानजनक है. इस फैसले का इस्तेमाल करते हुए यह माना गया कि अयोध्या में कोई मस्जिद नहीं बनाई गई थी, जिसे मुसलमानों ने कड़वा घूंट के रूप में पी लिया है, क्योंकि, इस फैसले से देश में शांति और व्यवस्था स्थापित होगी. जबकि, फैसले के बाद सांप्रदायिक शक्तियों का मनोबल बढ़ गया है. अब इस फैसले के बाद भी मस्जिदों की नींव में मंदिर तलाशे जा रहे हैं. इसका मतलब है कि देश में सांप्रदायिक ताकतें शांति और एकता की दुश्मन हैं. सरकार चुप है, लेकिन पर्दे के पीछे से ऐसे लोगों का समर्थन करती नजर आ रही है, जिसका ताजा प्रमाण संभल की घटना है.

Trending news