शादी- बयाह में बैंड-बाजे के पीछे पड़े रहते हैं काजी; दहेज़ पर साध लेते हैं चुप्पी !
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शादी- बयाह में बैंड-बाजे के पीछे पड़े रहते हैं काजी; दहेज़ पर साध लेते हैं चुप्पी !

Band and Dj Ban in Muslim Marriage: मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के सबलगढ़ में पांच तहसीलों के मुस्लिम समाज के लोगों ने फैसला किया है कि शादी-बयाह में बैंड- बाजा बजने वाले का कोई काजी निकाह नहीं पढ़ाएगा, उसके यहाँ कोई खाना नहीं खायेगा और उसपर जुर्माना भी लगेगा, लेकिन किसी ने ऐसा प्रस्ताव पास नहीं किया कि जो लोग दहेज़ लेकर शादी करेंगे उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा. 

 शादी- बयाह में बैंड-बाजे के पीछे पड़े रहते हैं काजी; दहेज़ पर साध लेते हैं चुप्पी !

Band and Dj Ban in Muslim Marriage: मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के सबलगढ़ में कई इलाके के मुस्लिम समाज ने इतवार को एक मीटिंग कर शादी- बयाह से सामाजिक बुराइयों को दूर करने का फैसला किया. जिले के लगभग पांच तहसीलोंके लोगों ने मीटिंग कर के शादी-विवाह में बैंड बाजे और डीजे बजवाए जाने पर पाबंदी लगाने का एक प्रस्ताव पास किया है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई परिवार समझाइश के बाद भी ऐसा करना नहीं छोड़ता है, तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा.

हालांकि, इस मीटिंग में इस बात का कोई ज़िक्र नहीं हुआ न कोई प्रस्ताव पास किया गया कि जो दहेज लेकर शादी करेगा उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा , जबकि इस्लाम में दहेज़ लेकर शादी करने को गुनाह बताया गया है.. लेकिन मुस्लिम समाज इसपर चर्चा करने के बजाये ढोल- डीजे में ही उलझा रहता है, जबकि मुस्लिम सामज की ढेर सारी लड़कियों की सिर्फ इसलिए शादी नहीं हो पा रही है कि उनके माता- पिता के पास दहेज़ देने के लिए पैसे नहीं है.. 

बैंड और डीजे बजाने पर भारी जुर्माना 
मुरैना के सबलगढ़ में तकिया वाली मस्जिद बेनीपुरा में मुस्लिम समाज की एक खास मीटिंग बुलाई गयी थी. इसमें सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि मुस्लिम समाज में किसी भी लड़के या लड़की की शादी में बैंड बाजा और डीजे वगैरह बजवाता है, तो सबलगढ़ के काजी या कहीं और के काजी उस शादी में निकाह नहीं पढ़ाएंगे. इतना ही नहीं अगर इस तरह की शादी या कोई निकाह में शिरकत करने वालों पर भी जुर्माना लगाया जाएगा. अगर कोई लड़की वाला बैंड और डीजे बजवाता है, तो उसे पहले एक दो बार समझाया जाएगा.  उसके बाद भी अगर वह नहीं मानता तो उसपर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. इसके साथ ही जिस मुस्लिम शादी में बैंड और डीजे बजेगा उसमें कोई भी मुस्लिम समाज के लोग खाना खाने नहीं जाएंगे. यह फैसला सबलगढ़, कैलारस वीरपुर, विजयपुर टैंटरा, झुंडपुरा, रामपुर एवं आसपास के गांव के लिए लागू रहेगा.
इस मीटिंग में शहर काजी कलीमुद्दीन, हाफिज बदरे आलम,  हाफिज इस्लाम और कई हाफिज, मुफ्ती, कारी और शहर के सभी प्रमुख लोग मौजूद रहे. मीटिंग में लगभग डेढ़ सौ से 2 सौ लोग शामिल हुए थे. 

दहेज़ वाली शादी मुस्लिम समाज की बड़ी समस्या 
गौरतलब है कि शादी बयाह में डीजे बजवाने के खिलाफ इस तरह की मीटिंग और शादी के बहिष्कार की खबरें लगातार उत्तर- प्रदेश और मध्य प्रदेश से आती रहती है, लेकिन आज तक ऐसी कोई पंचायत या मीटिंग की खबर नहीं आयी है, जिसमें दहेज़ ले देकर शादी के बहिष्कार की कोई बात की गई हो. अमीर घरानों के लड़की वाले जमकर दहेज़ दे रहे हैं, और लड़के वाले ले भी रहे हैं. शादी- बयाह में जमकर दिखावा और फिजूलखर्ची हो रही है. 72 तरह की लोग रीती- रिवाज कर रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ मुस्लिम समाज से कहीं कोई आवाज़ नहीं आती है. इस्लाम में निकाह को बेहद आसान बनाया गया है. इसमें न कोई रीती- रिवाज होता है, न कोई कर्मकांड होता है. इसमें बस लड़का और लड़की दोनों की आपसी सहमति ज़रूरी है. शादी में 2 पुरुष और एक महिला गवाह का होना ज़रूरी है. लेकिन निकाह मौजूदा मुस्लिम समाज में बड़ा मसला हो गया है, लेकिन इसपर कोई मुंह नहीं खोलता है. दरअसल, बड़ी समस्या और बुराई को नज़रअंदाज़ कर छोटी- मोटी बातों के पीछे मुस्लिम समाज पड़ा रहता है. 

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