इंजीनियर अब्दुल रशीद को रिहा करो... हुर्रियत कॉन्फ्रेंस प्रमुख की मोदी सरकार से बड़ी डिमांड
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इंजीनियर अब्दुल रशीद को रिहा करो... हुर्रियत कॉन्फ्रेंस प्रमुख की मोदी सरकार से बड़ी डिमांड

Jammu and Kashmir News: दिल्ली हाईकोर्ट में जेल में बंद सांसद रशीद इंजीनियर जमानत याचिका दायर की थी, जिसपर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस बीच हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चीफ मीरवाइज उमर फारूक ने सांसद की रिहाई की मांग की है.

इंजीनियर अब्दुल रशीद को रिहा करो... हुर्रियत कॉन्फ्रेंस प्रमुख की मोदी सरकार से बड़ी डिमांड

Jammu and Kashmir News: हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चीफ मीरवाइज उमर फारूक ने बारामूला लोकसभा सीट से सांसद अब्दुल रशीद उर्फ ​​इंजीनियर के बिगड़ते स्वास्थ्य पर रविवार को चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति से जुड़े लोगों को रिहा किया जाए.  

इंजीनियर रशीद की तबीयत बिगड़ रही है क्या?
फारूक ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मीडिया खबरों के जरिये इंजीनियर रशीद की तबीयत बिगड़ने के बारे में पता चला है, जो चिंता का विषय है. इसके अलावा यह खबर भी बहुत परेशान करने वाली है कि तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने राजनीतिक कैदियों के लिए फोन कॉल और ई-मुलाकात (वीडियो कॉल) की सुविधा को मनमाने ढंग से वापस ले लिया है. ये कैदी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की हिरासत में हैं.’’ 

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने अन्य राजनीतिक कैदियों की स्वास्थ्य स्थिति पर भी चिंता जाहिर की. फारूक ने कहा, ‘‘कई राजनीतिक कैदियों, विशेषकर जेलों में बंद बुजुर्गों की स्वास्थ्य स्थिति की रिपोर्ट न केवल उनके परिवारों को बल्कि सभी लोगों को चिंतित करती है.’’

राजनीतिक बंदियों को करो रिहा- हुर्रियत नेता
उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक बार फिर भारत सरकार से गुजारिश करता हूं कि वह सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए जिनमें नेता, वकील,नागरिक समाज के सदस्य, मीडियाकर्मी और युवा शामिल हैं. जेल में रहने के दौरान कानून के अनुसार उनके अधिकारों का सम्मान करते हुए उन्हें बहाल किया जाए.’’ फारूक ने कहा कि चुनाव के दौरान जारी किए गए घोषणापत्र में की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करना निर्वाचित सरकार की जिम्मेदारी है.

दिल्ली हाईकोर्ट में फैसला सुरक्षित
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट में जेल में बंद सांसद रशीद इंजीनियर जमानत याचिका दायर की थी, जिसपर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. सांसद ने संसद के मौजूदा सेशन में हिस्सा लेने के लिए अभिरक्षा पैरोल की गुजारिश की थी. जस्टिस विकास महाजन ने बारामूला से सांसद तथा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की ओर से पेश हुए वकीलों की दलीलें सुनीं और कहा, ‘‘फैसला सुरक्षित रखा जाता है.’’

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