Sambhal Shahi Jama Mosque: मुगलकालीन मस्जिद उस समय चर्चा में आई थी, जब एक सर्वे के दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें कई लोग हताहत हुए थे.
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Sambhal Shahi Jama Mosque: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद कमेटी ने रमजान से पहले मस्जिद को फिर से सजाने के लिए एएसआई से इजाजत मांगी थी, लेकिन संभल प्रशासन ने आज, 24 फरवरी को कहा कि एजेंसी की मंजूरी के बिना कोई भी काम नहीं किया जाना चाहिए.
शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जफर अली ने बताया था कि उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को चिट्ठी लिखकर रमजान से पहले मस्जिद की सफाई, रंगाई और सजावट की इजाजत मांगी है. एएसआई को प्रबंधन समिति के पत्र के बारे में पूछे जाने पर, संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि मामला अदालत में लंबित है और संपत्ति एएसआई की है.
डीएम ने क्या कहा?
उन्होंने कहा, "एएसआई को फैसला लेना है. हमने कहा है कि जब तक एएसआई इजाजत नहीं देता, तब तक किसी को भी इससे (मस्जिद) किसी भी तरह से छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है. मुझे नहीं लगता कि इस तरह के विवादित ढांचे को रंगने की कोई जरूरत है. फिर भी, एएसआई को निर्णय लेना चाहिए. हमारी तरफ से ऐसा कुछ नहीं है."
इस आधार पर मांगी गई थी इजाजत
अपने पत्र में प्रबंधन समिति ने इस बात पर जोर दिया कि सदियों से रमजान से पहले मस्जिद की सफाई और सजावट की जाती रही है, लेकिन एएसआई ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई है. हालांकि, शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए एहतियाती उपाय के तौर पर समिति ने इस बार अनुमति लेने का फैसला किया. जफर अली ने कहा था कि प्रबंधन समिति लंबे समय से चली आ रही परंपरा को जारी रखने के लिए औपचारिक मंजूरी मांग रही है. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई थी कि एएसआई इजाजत दे देगी.
विवाद में शाही जामा मस्जिद क्यों?
मुगलकालीन मस्जिद उस समय चर्चा में आई थी, जब एक सर्वे के दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें कई लोग हताहत हुए थे. एक स्थानीय अदालत ने मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका के बाद दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि इस स्थल पर हरिहर मंदिर था.