Life in Gaza: ये वीरान और खंडर ग़ाज़ा अगर मिल भी जाए तो क्या है ?
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Life in Gaza: ये वीरान और खंडर ग़ाज़ा अगर मिल भी जाए तो क्या है ?

Life in Deserted Gaza: लगभग 15 महीने से इसराल और हमास के जंग में गज़ा शहर पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. अबतक लगभग 47 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं.. 1.25 लाख लोग जंग में घायल हो चुके हैं. हजारों लोगों का अंग भंग हो चुका है. जिंदा बचे लोगों के पास जंग की मनहूस यादों और अपनों को खोने के दर्द के अलावा कुछ भी नहीं बचा है.. अवाम एक जिंदा लाश बनकर रह गयी है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि ये गज़ा अब उन लोगों को मिल भी जाए तो क्या होगा? 

Life in Gaza: ये वीरान और खंडर ग़ाज़ा अगर मिल भी जाए तो क्या है ?

 Life in Deserted Gaza: सीज़फ़ायर लागू होते ही 15 महीने से जारी इज़रायल-हमास जंग ख़त्म हो चुकी है. हमास ने समझौते के तहत 3 इज़रायली बंधकों को रिहा किया है, जिसके बदले में इज़रायल ने भी 90 फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को छोड़ दिया है. अभी दोनों तरफ से कैदियों की अदला-बदली होनी है, लेकिन सवाल ये है कि ग़ाज़ा का हाल कैसा है ? 7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुई जंग 15 महीने चली. इस जंग में ग़ाज़ा पर 85 हज़ार टन बारूद बरसाए गए. 47 हज़ार से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों का क़त्ल हुआ. 1 लाख 15 हज़ार लोग ज़ख़्मी हुए. कभी इंसानी आबादी से आबाद गज़ा शहर अब किसी भुतहा खंडर में तब्दील हो चुका है.

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बहरहाल,  ग़ाज़ा की इमारतों और घरों के मलबे से हज़ारो लापता फ़िलिस्तीनियों की लाशें मिलने का ख़दशा अभी भी ज़ाहिर किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि पूरे ग़ाज़ा में मलबों का इतना ढेर है कि इसे अगर हटाना शुरू किया जाए तो इसमें 10 साल का वक़्त लग सकता है. 15 महीनें और एक हफ़्ते जारी रहने वाली इस जंग के दौरान अपने घर छोड़ कर जाने पर मजबूर होने वाले तक़रीबन 20 लाख फ़िलिस्तीनी घर वापसी का इंतेज़ार कर रहे हैं. इस जंग में हमास चीफ़ इस्माइल हानिया को तेहरान में और दूसरे चीफ़ यहया सिनवार को गाज़ा में क़त्ल किया गया. सवा साल तक इस जंग पर दुनिया जुमले बाज़ी करती रही. यूनाइटेड नेशन में क़रारदातें पेश होती रहीं और अमेरिका इज़रायल का खुला साथ देता रहा.

7 अक्टूबर को हमास के हमले में 11 सौ इज़रायली मारे गए थे और तक़रीबन 240 इज़रायलियों को बधंक बनाया गया था. ज़्यादातर बंधक पिछले साल नवंबर में रिहा किए गए. कुछ तो इज़रायली हमलों में मारे भी गए. जंगबंदी से पहले तक तक़रीबन 99 बंधक हमास की क़ैद में थे. इज़रायल का दावा है कि हमास के इन हमलों से इज़रायल पर जंग थोपी गई.

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बहरहाल, अब सीज़फ़ायर है. हमास ने इस सीज़ फ़ायर समझौते को फ़िलिस्तीन के मज़लूम अवाम की जीत क़रार दिया है. हमास ने बयान जारी करके कहा है कि फ़िलिस्तीनी अवाम की दिलेराना मज़ाहमत, उम्मत और आज़ाद दुनिया की कामयाबी है ये सीज़फ़ायर डील. अब ग़ाज़ा पर हमास का कंट्रोल है. शहरी इलाक़ों से इज़रायल की फ़ौज हटाई गई है, लेकिन सवाल यही है कि ये ग़ाज़ा अगर मिल भी जाए तो क्या है. क्योंकि अब ग़ाज़ा एक खंडहर और मलबे के ढेर के सिवा कुछ नहीं है, जिसके अंदर कोई प्रोडक्शन, रोजगार, खेती, पानी, स्कूल, खेल मैदान और न ही कोई अस्पताल ठीक हालत में बचा है. अब ग़ाज़ा पूरी तरह से इंटरनैशनल मदद पर डिपेंड है. हमास के सामने भी परेशानी है कि वो प्रशासन कैसे चालाएगा. उसकी टॉप ली़रशिप जंग में मारी जा चुकी है. हालांकि हमास के लड़ाके पूरी ड्रेस के साथ ग़ाज़ा की गलियों में गश्त कर रहे हैं. इलाक़े के लोग उन्हें देखकर नारे लगा रहे हैं और हाथ हिला कर उनका इस्तेक़बाल कर रहे हैं.

आपको बता दें कि 6 हफ़्तों की जंगबंदी के समझौते पर अमल तीन फ़ेज़ में होगा. पहले फ़ेज़ में सिविलियन क़ैदियों का तबादला और जंग के ख़ात्मे पर बातचीत की जाएगी. दूसरे फ़ेस में इज़रायली फ़ोर्सेज़ के क़ैदी हमास रिहा करेगा,और ग़ाज़ा के पब्लिक प्लेसेज़ से इज़रायली फ़ौज हटाई जाएगी. तीसरे फ़ेज़ में ग़ाज़ा से इज़रायली फ़ौज पूरी तरह हटाई जाएगी और इज़रायल के पुनर्निमाण का काम शुरू होगा. 

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