UCC in Gujrat: उत्तराखंड के बाद अब गुजरात सरकार ने भी यूसीसी की ज़रूरत के आकलन और मसौदा विधेयक के लिए समिति बनाई है. 45 दिनों में ये समिति अपनी रिपोर्ट सौपेगी. राज्य सरकार रिपोर्ट मिलने के बाद यूसीसी को नाफ़िज़ करने के बारे में फैसला लेगी.
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गांधीनगर: उत्तरखंड में समान नागरिक सहिंता (UCC) लागू होने के बाद भाजपा शासित दीगर राज्यों में अब इसे लागू करने की होड़ लग गयी है. अब गुजरात सरकार ने ऐलान किया है कि राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) की ज़रूरत का आकलन करने और इसका ड्राफ्ट बिल तैयार करने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की एक रिटायर्ड जज की रहनुमाई में एक समिति का गठन किया है.
समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की साबिक जज रंजना देसाई की सदारत वाली पांच सदस्यीय समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. उन्होंने कहा, "यूसीसी की ज़रूरत का आकलन और इसका ड्राफ्ट बिल तैयार करने के लिए, हमने सुप्रीम कोर्ट की एक सेवानिवृत्त जज के नेतृत्व में एक समिति बनाने का फैसला किया है.’’ राज्य सरकार रिपोर्ट मिलने के बाद यूसीसी को नाफ़िज़ करने के बारे में फैसला लेगी. समिति के दीगर मेम्बरान में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के सेवानिवृत्त अधिकारी सीएल मीणा, वकील आर.सी. कोडेकर, शिक्षाविद् दक्षेष ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्रॉफ शामिल हैं.
मुल्क के सामाजिक, सांस्कृतिक ताने- बाने को खतरा
अगर गुजरात में UCC लागू होता है, तो वो ऐसा करने वाल दूसरा राज्य बन जाएगा. इससे पहले पिछले महीने ही उत्तराखंड में भाजपा नीत धामी सरकार ने राज्य में समान नागरिक सहिंता लागू कर दिया है. इसके बाद कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी. मुसलमान सरकार के इस फैसले को संविधान और देश की सामाजिक संस्कृति के खिलाफ मानते हैं. इससे मुल्क के सामाजिक, सांस्कृतिक ताने- बाने को वो खतरा बता रहे हैं. इस कानून से आदिवासी और दलितों और हिन्दू कोड बिल के भी कुछ प्रावधानों को चुनौती मिल सकती है
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