...तो क्या इस वजह से नीतीश कुमार ने BJP को दिया दगा; तेजस्वी की होगी ये भूमिका
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...तो क्या इस वजह से नीतीश कुमार ने BJP को दिया दगा; तेजस्वी की होगी ये भूमिका

Bihar Plitical Crisis: बिहार में भाजपा गठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार ने राजद के साथ सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के पास अपना दावा पेश कर दिया है, लेकिन लोगों को ये बात हजम नहीं हो पा रही है कि आखिर नीतीश ने ऐसा फैसला क्यों किया ? 

Nitish Kumar and Tejashvi Yadav

पटनाः नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया है और राजद (RJD) के साथ सरकार बनाने के लिए उनके नेताओं से बात कर रहे हैं. वहीं, प्रदेश और देशभर के लोगों के जेहन में ये सवाल बार-बार कौंध रहा है कि आखिर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने ऐसा क्यों किया? पिछले आठ सालों में ये दूसरी बार है, जब उन्होंने भाजपा को दगा देकर अपने पुराने विरोधी राजद का दामन थामा है. वहीं, दूसरा सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर राजद को इससे क्या लाभ होगा. तेजस्वी यादव (Tejashvi Yadav) को मुख्यमंत्री या गृहमंत्री जैसा कोई बड़ा पद मिलेगा या नहीं ? 

बिहार की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले जानकार बताते हैं कि भाजपा से अलग होने की सबसे बड़ी वजह नीतीश कुमार और जदयू का विभिन्न मुद्दों को लेकर भाजपा से अलग स्टैंड रखना है. भाजपा चाहती थी कि बिहार में भाजपा का वह पूरा एजेंड बिहार में लागू हो, जो वह उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश या अन्य भाजपा शासित राज्यों में करती है, लेकिन भाजपा के इस राह में नीतीश कुमार सबसे बड़ी बाधा बनकर खड़े हो जाते थे. केंद्र सरकार की भी बहुत सी योजनाओं और कानून को लेकर जदयू उससे इत्तेफाक नहीं रखने के बावजूद गंठबंधन धर्म निभाने के लिए उसका समर्थन करता रहा है.

हाल के दिनों में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं और यहां तक कि भाजपा के आम वोटर भी इस बात की मांग करने लगे थे कि बिहार में नीतीश कुमार को रिप्लेस कर भाजपा के किसी सवर्ण जाति यानी ठाकुर, ब्राहमण या भूमिहार नेता को सीएम पद पर बैठाया जाए. हालांकि, इस मांग पर भाजपा के हाथ भी बंधे हुए थे. नीतीश कुमार भाजपा की मजबूरी बन गए थे, इसलिए ऐेसे किसी भी मांग को भाजपा की शीर्ष नेतृत्व खारिज करती रही है और बार-बार पार्टी के बड़े केन्द्रीय नेता बिहार आकर ये बयान देते रहे हैं कि नीतीश कुमार 2025 तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और गठबंधन अपना कार्यकाल पूरा करेगा. 

नीतीश के भाजपा गठबंधन छोड़ने के आकलन को बल महाराष्ट्र में हुए सत्ता परिवर्तन और खुद जदयू के नेता आरसीपी सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद मिला है. महाराष्ट्र में शिव सेना में फूट के बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने से बिहार में जदयू पर भी इस बात के खतरे मंडराने लगे थे. इसकी बाद रही सही कसर आरसीपी सिंह ने भी जदयू से इस्तीफा देकर पूरी कर दी. हांलाकि बिहार में ये खतरा सिर्फ भाजपा गठबंधन के सहयोगी जदयू को ही नहीं था बल्कि कांग्रेस और राजद जैसी विपक्षी दलों को भी उसके विधायकों को तोड़ने का खतरा सता रहा था. सूत्रों की माने तो जदयू इस बात से भी डरी है कि भाजपा का इतिहास रहा है कि यह अपने सहयोगी दलों को कमजोर कर देती है. ऐसे में छोटी क्षेत्रीय पार्टियां अब भाजपा से किनारा करने लगी है.  
वहीं, नीतीश कुमार के भाजपा छोड़कर राजद के साथ सरकार बनाने पर उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित रहने की पूरी गांरटी है. पहले भी वह इसी करार के साथ महागठबंधन का हिस्सा बनकर मुख्यमंत्री बने थे. 

सूत्र बताते हैं कि नीतीश के साथ सरकार बनाने पर राजद की वही पुरानी स्थिति रह सकती है. मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार कोई समझौता नहीं करेंगे, जबकि राजद नेता तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम या गृहमंत्री का पद सौंपा जा सकता है.

मंगलवार को राज्यपाल फागू चौहान को इस्तीफा सौंपने और राजग छोड़ने की औपचारिक घोषणा के बाद नीतीश कुमार सीधे राजद नेता तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य नेताओं से मुलाकात करने के लिए राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे. वह उन्होंने आगे की रणनीति पर चर्चा करने के बाद राजद नेताओं के साथ राज्यपाल फागू चौहान के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने पहुंचे हैं. कल या आज देश रात ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की शपथ ले सकते हैं. 

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