Wall clock maker Oreva group gets tender for maintanance of Morbi bridge: गुजरात के मोरबी में केबल पुल हादसे में अब तक 143 लोगों के मारे जाने की तस्दीक़ की गई है. इसके साथ इस बात पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि इस पुल की मरम्मत का काम ऐसी कंपनी को क्यों दिया गया, जिसे इस काम को कराने का पहले से कोई तजुर्बा नहीं था.
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Gujrat Morbi Hanging Bridge Accident: गुजरात के मोरबी में हैंगिंग ब्रिज हादसे में अबतक 140 से ज़्यादा लोगों की मौत की ख़बर सामने आ चुकी हैं. नदी के अंदर से लापता लोगों को तलाश करने का मिशन अभी भी जारी है. बड़ी तादाद में ज़ख़्मियों को अस्पतालों में भर्ती किया गया है. इस हादसे को लेकर अब गुजरात सरकार बुरी तरह घिर चुकी है. हादसे को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि पुल की मरम्मत का काम एक घड़ी बनाने वाली कंपनी को क्यों दिया गया है ?
बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के खोला गया पुल
ग़ौरतलब है कि पुल को सात महीने पहले ही मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया था और इसे 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के मौक़े पर फिर से खोला गया था. यह केबल ब्रिज ‘झूलता पुल’ के नाम से मशहूर था. इस साल के मार्च महीने में ओरेवा ग्रुप को मोरबी नगर निकाय के ज़रिए पुल की मरम्मत और देखरेख का ठेका दिया गया था. इल्ज़ाम है कि पुल को बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के खोल दिया गया. हादसे के बाद कंपनी के मैनेजमेंट ने कहा था कि पुल इसलिए टूटा क्योंकि पुल के बीच में खड़े होकर कुछ लोग इसे एक तरफ से दूसरी तरफ झुलाने की कोशिश कर रहे थे.
कंपनी को नहीं है पुल का काम करने का तजुर्बा
केबल पुल टूटने के बाद जांच के घेरे में आए ओरेवा ग्रुप नामक कंपनी को पुल बनाने के बजाए सीएफएल बल्ब, दीवार घड़ी और ई-बाइक बनाने में महारत हासिल है. कंपनी के इस तरह के काम करने का कोई पुरान रिकार्ड नहीं है. कंपनी के प्रोफाइल ने ये बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि लगभग 140 साल पुराने इस पुल की मरम्मत का ठेका इसे कैसे मिल गया? तक़रीबन पांच दशक पहले ओधावजी राघवजी पटेल के ज़रिए क़ायम की गई ये कंपनी मशहूर अजंता और ओरपैट ब्रांड के तहत दीवार घड़ी का उत्पादन करती है. तक़रीबन 800 करोड़ रुपए की सालाना आमदनी करने वाला अजंता ग्रुप अब घरेलू और बिजली के उपकरण, बिजली के लैम्प, कैलकुलेटर, चीनी मिट्टी के उत्पाद और ई-बाइक का भी उत्पादन करता है.
कंपनी के बारे में
अजंता ट्रांजिस्टर क्लॉक मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी की शुरुआत करने वाले मोरबी स्थित ओरेवा ग्रुप ने कई क्षेत्रों में अपना कारोबार फैला लिया है. ओरेवा ग्रुप ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया है कि उसके यहां 6,000 से ज़्यादा लोग काम करते हैं, लेकिन उसने अपने निर्माण कारोबार का कोई ज़िक्र नहीं किया है. उद्योग जगत में कम लागत के लिए पहचाने जाने वाला ओरेवा ग्रुप मुल्कभर में 55,000 साझेदारों के ज़रिए अपने प्रोडेक्ट को बेचता है. गुजरात के कच्छ में समाखियाली में उसका भारत का सबसे बड़ा विनिर्माण संयंत्र है, जो लगभग 200 एकड़ से भी ज्यादा एरिया में फैला हुआ है.
इस कंपनी को खड़ी करने वाले कारोबारी ओधावजी राघवजी पटेल 1971 में 45 साल की उम्र में कारोबार में हाथ आज़माने से पहले एक स्कूल में साइंस के टीचर थे और 88 साल की उम्र में इस महीने की शुरुआत में उनकी मौत हुई थी. माना जा रहा है कि कंपनी को बिना किसी तजुर्बे के पुल की मरम्मत का काम दिया गया था.
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