Pak Army Chief: पाकिस्तान आर्मी चीफ अपनी मनमानियों की वजह से हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं, भले ही वो बाजवा हों या उनसे पहले इस पद रहने वाले अफसर. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि यह इतिहास काफी पुराना है.
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First Army Chief: पाकिस्तान को नया आर्मी चीफ मिल गया है. आसिम मुनीर के हाथों में पाकिस्तानी फौज की कमान होगी. गुरुवार को प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने उनके नाम की मंजूरी दी थी. जिसके बाद राष्ट्रपति ने भी इसपर दस्तखत कर दिए. आसिम मुनीर जनरव बाजवा की जगह लेंगे जो 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. जनरल बाजवा पर आरोप रहे हैं कि देश की सियासत में दखल देते हैं. जिसका उन्होंने कुछ दिन पहले एक प्रोग्राम में देते हुए कहा कि अगर देश के खिलाफ कोई साज़िश होगी तो वहां फौज चुप नहीं रह सकती.
ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है. बल्कि आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत और हिंदुस्तान एक साथ आज़ाद हुए थे यानी दोनों देशों को 75 वर्ष हो चुके हैं. इन 75 वर्षों में पाकिस्तान की सत्ता पर 30 से ज्यादा सालों तक फौज की हुकूमत रही है और ये अब से नहीं है बल्कि जब से देश बना है तभी से है. आर्मी चीफ की अपनी मनमानियों की वजह से पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना ने 2 आर्मी चीफ को पद से हटा दिया है.
दरअसल जब पाकिस्तान बना था तो उस वक्त कोई पाकिस्तानी बल्कि ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर थे. पाकिस्तान के पहले आर्मी चीफ का नाम "जनरल सर फ्रैंक वाल्टर मेसेर्वी" था. पाकिस्तान के पहले कमांडर-इन-चीफ फ्रैंड वाल्टर अपने पद से एक साल से भी कम समय में हटा दिए गए थे. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना के आदेशों को नहीं माना था. जिसकी वजह से उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया था.
सर फ्रैंक वाल्टर के बाद पाकिस्तानी फौज की कमान फिर से ब्रिटिश ऑफिसर के हाथों में गई. दूसरे आर्मी चीफ बने जनरल सर डगलस डेविड ग्रेसी. कहा जाता है कि जनरल फ्रैंक की तरह ही जनरल डगलस ने कश्मीर के मोर्चे पर फौज भेजने के गवर्नर जनरल के हुक्मों को कुबूल नहीं किया और अपने कार्यकाल से पहले ही उन्हें पद से हटा दिया गया था. वह पाकिस्तान के आखिरी ब्रिटिश आर्मी चीफ थे.
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