Pakistan taken off from FATF grey list: एफएटीएफ ने कहा है कि वह धन शोधन और आतंकवादी वित्त पोषण से निपटने के तंत्र में सुधार की दिशा में पाकिस्तान द्वारा की गई महत्वपूर्ण कदमों का स्वागत करता है.
Trending Photos
नई दिल्लीः पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की ग्रे (संदिग्ध) लिस्ट से चार साल बाद बाहर कर दिया गया है. एफएटीएफ आतंकवादी वित्त पोषण और धन शोधन पर नजर रखने वाली एक वैश्विक संस्था है. पाकिस्तान को लगभग चार साल पहले एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाला गया था. वहीं, एफएटीएफ ने म्यांमार को पहली बार अपनी काली सूची में शामिल किया है. काली सूची में उच्च जोखिम वाले उन क्षेत्रों को रखा जाता है, जहां कार्रवाई किए जाने की जरूरत होती है.
एफएटीएफ ने कहा है कि वह धन शोधन और आतंकवादी वित्त पोषण से निपटने के तंत्र में सुधार की दिशा में पाकिस्तान द्वारा की गई महत्वपूर्ण कदमों का स्वागत करता है. एफएटीएफ ने 20-21 अक्टूबर को पेरिस में हुई अपनी बैठक में पाकिस्तान को ग्रे सूची से हटाने का फैसला लिया था. एफएटीएफ के इस फैसले से एक तरह से भारत के लिए झटका है, क्योंकि हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी जैसे आतंकवादी पर आज भी पाकिस्तान में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, यानी जिस वजह से पाक को ग्रे लिसट में डाला गया था, वह वजह बिना पूरी हुए ही उसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकाल दिया गया है. पाक आतंकवादी संगठन टेरर फंडिंग के जरिये भारत के आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं.
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से क्यों हटाया गया ?
एफएटीएफ ने कहा, “पाकिस्तान ने धन शोधन और आतंकवादी वित्त पोषण से निपटने के अपने तंत्र को पहले से और ज्यादा प्रभावी बनाया है, और रणनीतिक कमियों के संबंध में अपनी कार्य योजनाओं की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उन तकनीकी कमियों को दूर किया है, जिनका जिक्र एफएटीएफ ने जून 2018 और जून 2021 में किया था. उसने संबंधित प्रतिबद्धताओं को तय समयसीमा से पहले पूरा किया है, जिसमें कुल 34 कार्य बिंदु शामिल थे.” एफएटीएफ ने कहा, “पाकिस्तान अब एफएटीएफ की निगरानी प्रक्रिया के अधीन नहीं है. पाकिस्तान धन शोधन और आतंकवादी वित्त पोषण से निपटने के अपने तंत्र को और बेहतर बनाने के लिए एपीजी के साथ काम करना जारी रखेगा.”
ग्रे लिस्ट में क्यों डाला गया था ?
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा धन शोधन और आंतकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने में नाकाम होने के बाद पाकिस्तान को जून 2018 में इस श्रेणी में शामिल किया गया था. जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी समेत संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में पाकिस्तान विफल हुआ था. अजहर, सईद और लखवी भारत में कई आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए वांछित आतंकवादी हैं. इन आतंकवादी कृत्यों में मुंबई में आतंकवादी हमला और 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की बस पर हमला शामिल है.
ग्रे सूची से बाहर होने पर क्या फायदा होगा ?
ग्रे सूची से बाहर होने के बाद पाकिस्तान अपनी लड़खड़ाती हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ (ईयू) से वित्ती मदद हासिल करने की कोशिश कर सकता है.
ऐसी खबरों के लिए विजिट करें zeesalaam.in