Gulzar Shayari : हृदयाला स्पर्श करणाऱ्या गुलजारांच्या काही गाजलेल्या शायरी!

विखुरलेल्या मनाला सावरणारे प्रसिद्ध कवी गुलजार आणि ज्येष्ठ संस्कृत पंडित रामभद्राचार्य या दोघांचा गौरव ज्ञानपीठ पुरस्कार देऊन करण्यात येणार आहे. ज्ञानपीठ निवड समितीने ही नावं जाहीर केली आहेत. 

Saurabh Talekar | Feb 17, 2024, 22:05 PM IST

Gulzar fomous Shayari : विखुरलेल्या मनाला सावरणारे प्रसिद्ध कवी गुलजार आणि ज्येष्ठ संस्कृत पंडित रामभद्राचार्य या दोघांचा गौरव ज्ञानपीठ पुरस्कार देऊन करण्यात येणार आहे. ज्ञानपीठ निवड समितीने ही नावं जाहीर केली आहेत. 

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वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था यूं भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता कोई एहसास तो दरिया की अना का होता कांच के पीछे चांद भी था और कांच के ऊपर काई भी तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी  

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काई सी जम गई है आंखों पर सारा मंजर हरा सा रहता है कल का हर वाकिआ तुम्हारा था आज की दास्तां हमारी है हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते वक्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

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दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई जैसे एहसान उतारता है कोई आइना देख कर तसल्ली हुई हम को इस घर में जानता है कोई वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था आप के बाद हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुजारी है तुम्हारी खुश्क सी आंखें भली नहीं लगतीं वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएं, भेजी हैं

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खुली किताब के सफ्हे उलटते रहते हैं हवा चले न चले दिन पलटते रहते है जमीं सा दूसरा कोई सखी कहां होगा जरा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है आंखों से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं मेहमां ये घर में आएं तो चुभता नहीं धुआं

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मोहब्बत थी तो, चाँद था, उतर गई तो, दाग भी दिखने लगे. न हक़ दो इतना की, तकलीफ हो तुम्हे, न वक्त दो इतना की, गुरुर हो हमें.

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सालो बाद मिले वो, गले लगकर रोने लगे, जाते वक्त जिसने कहा था, तुम्हारे जैसे हजार मिलेंगे. राधा सी सादगी हे तुम मे, इसलिए पसंद हो, वरना खूबसूरत तो, यहाँ गोपिया भी हे.