Maharashtra News: अदालत ने अभिषेक की NSEL के 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान चूक संकट में शामिल होने की जांच करने का निर्देश दिया है. NSEL ने कहा कि आर्थिक अपराध शाखा, मुंबई मामले में 40 दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी.
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MPID Special Court: महाराष्ट्र में जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा (MPID) से जुड़ी विशेष अदालत ने आर्थिक अपराध शाखा से नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लि. (NSEL) मामले में पूर्व वायदा बाजार आयोग (FMC) के चेयरमैन रमेश अभिषेक की भूमिका का जांच करने का निर्देश दिया है. एफएमसी का भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में विलय हो चुका है.
अदालत ने अभिषेक की NSEL के 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान चूक संकट में शामिल होने की जांच करने का निर्देश दिया है. NSEL ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक अपराध शाखा, मुंबई मामले में 40 दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी.
NSEL ने इस बात लेकर दिया था आवेदन
NSEL ने इस बात को लेकर आवेदन दिया था कि आर्थिक अपराधा शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दिसंबर, 2022 में अंतिम आरोपपत्र दाखिल किया था. लेकिन उसने वायदा बाजार आयोग और रमेश अभिषेक की भूमिकाओं की जांच नहीं की थी.
NSEL ने 2020 में ईओडब्ल्यू के समक्ष विस्तार से प्रतिवेदन देकर अभिषेक की तरफ से लापरवाही बरतने और विफल रहने की बात कही थी. इसके बारे में एजेंसी ने जांच नहीं की. इसको लेकर एक्सचेंज ने आवेदन दिया था.
‘हमें उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष होगी’
नेशनल स्पॉट एक्सचेंज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नीरज शर्मा ने बयान में कहा, ‘हमें उम्मीद है कि अभिषेक की भूमिका की जांच निष्पक्ष होगी और मामले में उनकी तरफ से कदम नहीं उठाने के पीछे का मकसद सामने आएगा.’
बयान में दावा किया गया है कि संकट की वजह वायदा बाजार आयोग (FMC) के चेयरमैन की तरफ से उपभोक्ता मामलों के विभाग को दी गई गलत सलाह थी. उसमें कहा गया था कि NSEL ने एफसीआरए (विदेशी चंदा नियमन अधिनियम) के तहत मिली छूट की कुछ शर्तों का उल्लंघन किया है.
उसके आधार पर उपभोक्ता मामलों के विभाग ने अप्रैल, 2012 में एक्सचेंज को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसका विस्तार से जवाब देने के बाद भी कारण बताओ नोटिस पर जुलाई, 2013 तक कोई निर्णय नहीं हुआ. उसी समय एक्सचेंज को अचानक से कामकाज बंद करने को कहा गया, जिससे भुगतान चूक संकट पैदा हुआ.
सरकार ने अगस्त, 2013 में एफएमसी को मामले के निपटान के लिये अधिकार दिया था.
'अभिषेक ने कोई कदम नहीं उठाया'
NSEL ने कहा, ‘FMC प्रमुख रमेश अभिषेक ने संकट के समाधान को लेकर कोई कदम नहीं उठाया. वास्तव में, अभिषेक के ढुलमुल रवैये के परिणामस्वरूप चूककर्ताओं ने धन की हेराफेरी की. इससे जो वास्तविक दावेदार थे, उनके पैसे लौटाने में कठिनाई हुई. वे लगभग एक दशक के बाद भी अपनी वैध राशि का इंतजार कर रहे हैं.’
(इनपुट - एजेंसी)