Karnataka News: कर्नाटक के बेंगलुरु से एक चौंकाने वाली खबर आई है. बता दें कि एक जांच में पता चला है कि इडली बनाने के लिए प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसके बाद 24 भोजनालयों को नोटिस जारी किया गया है.
Trending Photos
Karnataka News: अक्सर लोग जल्दबाजी में खाना खाने के बजाए नाश्ता करके अपने काम पर निकल जाते हैं. इसमें इडली का सेवन लोग काफी ज्यादा मात्रा में करते हैं. इसे सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है. हालांकि कर्नाटक के बेंगलुरु एक ऐसा मामला आया जिसे सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. यहां की कई दुकानों में जांच के बाद पाया गया है कि इडली बनाने में प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल किया जा रहा है. प्रदेश के 254 भोजनालयों का निरीक्षण किया गया है और 24 को नोटिस जारी किया गया है.
प्लास्टिक से पकाए जा रहे खाद्य पदार्थ
रिपोर्ट के मुताबिक 14 फरवरी 2025 को एक आदेश जारी किया गया था. जिसमें कहा गया कि बहुत अधिक तापमान पर प्लास्टिक से खाद्य पदार्थों को पकाया जा रहा है इससे स्वास्थ्य को काफी ज्यादा नुकसान हो रहा है. इस बीच, शहर के होटल मालिकों ने कहा कि इस क्षेत्र में कुछ लोग प्लास्टिक शीट का उपयोग कर रहे हैं, जबकि अधिकांश लोग सफेद सूती कपड़े, केले के पत्ते या नॉन-स्टिक मोल्ड का उपयोग करते हैं.
इसे लेकर इडली गुरु के संस्थापक कार्तिक बी शेट्टी ने कहा कि प्लास्टिक की एक पतली परत के साथ कागज़ का इस्तेमाल अतीत में प्रतिष्ठानों में बैटर और मोल्ड के बीच पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े को साफ करने में होने वाली लागत और मेहनत को कम करने के लिए किया जाता था. कपड़े को आमतौर पर हर बार इस्तेमाल करने के बाद धोना और पानी में डुबाना पड़ता है, जबकि पेपर रोल एक शॉर्टकट था. ये बटर पेपर का एक सस्ता विकल्प भी थे. इडली का बड़े पैमाने पर उत्पादन केले के पत्तों से शुरू होकर कपड़े, कागज के रोल और अब बड़े पैमाने पर नॉन-स्टिक सांचों में होता है.
इसके अलावा बृहत बैंगलोर होटल एसोसिएशन (BBHA) के अध्यक्ष सुब्रमण्यम होला एस ने बताया कि "जहां तक मुझे पता है, कुछ छोटे होटल प्लास्टिक शीट का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन शहर के 90% होटलों ने उनका उपयोग करना बंद कर दिया है. उनमें से बहुत से व्यापक रूप से उपलब्ध नॉन-स्टिक सांचों का उपयोग कर रहे हैं. बहुत से लोग अब पारंपरिक तरीके से कपड़े का उपयोग कर रहे हैं. अतीत में प्लास्टिक शीट का उपयोग किया जाता था क्योंकि कपड़े की तुलना में उनका रखरखाव आसान था, क्योंकि कपड़े को साफ करने और सुखाने की आवश्यकता होती थी.
इसके अलावा चालुक्य सम्राट के वसंत कुमार ने बताया कि एक सप्ताह में लगभग 800 इडली बनाई जाती हैं. इडली पकाने के लिए प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है क्योंकि प्लास्टिक के उच्च तापमान के संपर्क में आने पर जहरीले रसायन निकलते हैं. प्लास्टिक को खाना पकाने के लिए नहीं बनाया गया है ऐसे में यह इडली के लिए हानिकारक है. गर्मी के कारण यह टूट सकता है और हानिकारक पदार्थ, जैसे कि बिस्फेनॉल ए (बीपीए) और थैलेट्स, भोजन में मिल सकते हैं. ये रसायन हार्मोनल संतुलन को बाधित करने के लिए जाने जाते हैं और इनसे प्रजनन संबंधी समस्याएं, विकास संबंधी विकार और कुछ कैंसरों का खतरा बढ़ने सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. जब भोजन को प्लास्टिक शीट के सीधे संपर्क में पकाया जाता है, तो इन हानिकारक पदार्थों के भोजन में प्रवेश करने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाता है.