UGC का नया आदेश, नहीं मानने पर कार्रवाई का अल्टीमेटम; स्टूडेंट्स के लिए फायदे की चीज
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UGC का नया आदेश, नहीं मानने पर कार्रवाई का अल्टीमेटम; स्टूडेंट्स के लिए फायदे की चीज

UGC New Circular: स्टूडेंट्स की सुरक्षा को और ज्यादा सिक्योर करने के लिए हॉस्टल, एंटरटेनमेंट एरिया, कैंटीनों और बसों का औचक निरीक्षण करने की सिफारिश की गई है.

UGC का नया आदेश, नहीं मानने पर कार्रवाई का अल्टीमेटम; स्टूडेंट्स के लिए फायदे की चीज

University Grants Commission: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स (HEI) को कैंपस में रैगिंग विरोधी सख्त उपाय लागू करने का निर्देश देते हुए एक सर्कुलर जारी किया है. UGC ने इस बात पर जोर दिया कि रैगिंग एक आपराधिक अपराध है और संस्थानों से इसे रोकने और खत्म करने के लिए नियम बनाए हैं. सर्कुलर में यह भी चेतावनी दी गई है कि इन नियमों का कोई भी उल्लंघन गंभीरता से लिया जाएगा. यदि कोई संस्थान रैगिंग को रोकने, नियमों को लागू करने या रैगिंग में शामिल लोगों को दंडित करने के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहता है, तो उसे UGC की ओर से कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. नियमों को UGC की वेबसाइट www.ugc.gov.in और www.antiragging.in पर देखा जा सकता है.

यूजीसी ने एक नोटिस में कहा, "सिविल अपील संख्या 887/2009 में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 08.05.2009 के निर्णय के अनुसरण में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 की धारा 26 की उपधारा (1) के खंड (जी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने के लिए, यूजीसी ने "उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की समस्या को रोकने के लिए विनियम, 2009" अधिसूचित किए हैं. ये विनियम यूजीसी की वेबसाइट www.ugc.gov.in और www.antiragging.in पर उपलब्ध हैं."

रैगिंग एक गंभीर मुद्दा है जो छात्रों की सुरक्षा और भलाई को प्रभावित करता है. सभी संस्थानों को इसे प्रतिबंधित करने, रोकने और पूरी तरह से खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए. यूजीसी ने अपने निर्देश में कहा कि इन नियमों का पालन न करने पर सख्ती से निपटा जाएगा.

अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, यूजीसी ने संस्थानों को अपने एंटी-रैगिंग मैकेनिज्म को मजबूत करने का निर्देश दिया है. उपायों में एंटी-रैगिंग समितियां और दस्ते बनाना, समर्पित एंटी-रैगिंग सेल स्थापित करना और कैंपस में प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना शामिल है. संस्थानों को इस सब्जेक्ट पर वर्कशॉप और सेमिनार आयोजित करने और लाइब्रेरी, कैंटीन, हॉस्टल और एडमिशन सेंटर जैसे क्षेत्रों में प्रमुख एंटी-रैगिंग पोस्टर लगाने भी जरूरी हैं.

"जागरूकता जरूरी है. हम सभी संस्थानों से छात्रों के साथ नियमित बातचीत करने, संभावित परेशानी वाले स्थानों की पहचान करने और स्टूडेंट्स को प्रभावी ढंग से सलाह देने का आग्रह करते हैं. ई-प्रॉस्पेक्टस और ब्रोशर में एंटी-रैगिंग चेतावनियां भी शामिल की जानी चाहिए," यूजीसी ने सलाह दी.

स्टूडेंट्स की सुरक्षा को और ज्यादा सिक्योर करने के लिए हॉस्टल, एंटरटेनमेंट एरिया, कैंटीनों और बसों का औचक निरीक्षण करने की सिफारिश की गई है. यूजीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध पोस्टरों का साइज 8×6 फीट होना चाहिए और उन्हें ज्यादा विजिबिलिटी वाली जगहों पर लगाया जाना चाहिए.

यूजीसी ने छात्रों को रैगिंग से जुड़ी घटनाओं के मामले में उपलब्ध संसाधनों की भी याद दिलाई है. यूजीसी ने कहा, "संकट का सामना कर रहे छात्र 1800-180-5522 पर राष्ट्रीय एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन से कॉन्टेकट् कर सकते हैं या हमें helpline@antiragging.in पर ईमेल कर सकते हैं. संस्थान और स्टूडेंट हमारी वेबसाइट www.ugc.gov.in और www.antiragging.in पर ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं."

यूजीसी मॉनिटरिंग एजेंसी, सेंटर फॉर यूथ (सी4वाई) के एक प्रतिनिधि ने सामूहिक प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डाला. प्रतिनिधि ने कहा, "सुरक्षित वातावरण बनाने की जिम्मेदारी संस्थानों, शिक्षकों और स्टूडेंट्स की है. जब भी जरूरत होगी हम सहायता प्रदान करने के लिए यहां मौजूद हैं". साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मोबाइल नंबर 09818044577 जैसे इमेरजेंसी कॉन्टेक्ट ऑप्शन भी उपलब्ध हैं.

सर्वोच्च न्यायालय की एंटी-रैगिंग निगरानी समिति के निर्देशों के अनुसार, उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) और नियामक परिषदों को इन दिशानिर्देशों का पालन करना होगा.

मेंटर-मेंटी प्रोग्राम: सभी संस्थानों को यूजीसी के 2009 के एंटी-रैगिंग नियमों से मेंटर-मेंटी कॉन्सेप्ट को लागू करना होगा. इससे जूनियर और सीनियर के बीच अच्छे संबंध बनाने में मदद मिलेगी.

रैगिंग विरोधी सेल को मजबूत बनाना: रैगिंग विरोधी सेल और दस्तों को कानूनी सलाहकारों तक पहुंच होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रैगिंग में शामिल लोगों के खिलाफ मजबूत मामला बनाया जा सके.

गंभीर मामलों के लिए जवाबदेही: गंभीर रैगिंग या छात्र आत्महत्या के मामलों में, कॉलेज के प्रिंसिपल और यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार को जवाबदेह ठहराया जाएगा और यदि यूजीसी नियमों का पालन नहीं किया गया तो उन्हें राष्ट्रीय एंटी-रैगिंग निगरानी समिति के समक्ष जवाब देना होगा.

गंभीर मामलों के लिए समितियां: जब भी कोई गंभीर घटना, जैसे आत्महत्या या मृत्यु, होती है, तो विनियामक परिषदों को समितियां बनानी चाहिए. ये समितियां मामले की समीक्षा करेंगी, भले ही वह पुलिस जांच के अधीन हो, और मामले को संभालने के लिए कानूनी विशेषज्ञों को शामिल करेंगी.

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राष्ट्रव्यापी सर्प्राइज चेक: एंटी-रैगिंग मॉनिटरिंग एजेंसी को संस्थानों, कर्मचारियों और छात्रों द्वारा यूजीसी एंटी-रैगिंग नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए देश भर में सर्प्राइज चेक करने का निर्देश दिया है.

इन दिशानिर्देशों का पालन न करने पर यूजीसी विनियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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