Osmania University में करता था चौकीदारी, मिली दो सरकारी नौकरियां; कहानी है रोचक
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Osmania University में करता था चौकीदारी, मिली दो सरकारी नौकरियां; कहानी है रोचक

आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे  में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हुए दो-दो प्रतियोगी परीक्षाओं को पास किया.

Osmania University में करता था चौकीदारी, मिली दो सरकारी नौकरियां; कहानी है रोचक

Motivational Story Of Osmania University Watchmen: आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे  में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हुए दो-दो प्रतियोगी परीक्षाओं को पास किया. हम बात कर रहे हैं गोले प्रवीण कुमार के बारे में, जो देश के करोड़ों हताश और निराश युवाओं के लिए एक मिसाल बनकर उभरे हैं. प्रवीण कुमार  हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी में गार्ड की नौकरी करते हैं.  

इस खबर को पढ़ने के बाद हर किसी के मन में यही सवाल उठ रहा होगा कि आखिर क्यों इतने पढ़े-लिखे होने के बावजूद प्रवीण ने विश्वविद्यालय में चौकीदार की नौकरी करना चुना? कैसे उन्होंने नौकरी के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी की होगी? आइए जानते हैं प्रवीण कुमार की सफलता की कहानी...

तीसरा नियुक्त पत्र मिलने की उम्मीद

आपको यह जानकार हैरानी होगी कि 31 वर्षीय गोले प्रवीण कुमार हैट-ट्रिक की ओर अग्रसर हैं और तीसरी नौकरी से उनकी राह बदलने की संभावना है. प्रवीण को जल्द ही एक सरकारी संस्थान में कक्षाएं लेते देखा जाएगा, जबकि उन्हें पोस्ट ग्रेजुएट टीचर के पद के लिए अपॉइनमेंट लेटर पहले ही मिल चुका है, वहीं, उन्होंने जूनियर लेक्टरर्स की फाइनल लिस्ट में भी जगह पक्की कर ली है, जिसका नियुक्ति पत्र 2 मार्च तक मिलने की उम्मीद है.  

प्रवीण की काबिलियत पर अधिकारियों को भी भरोसा

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो यह खबर आग की तरह बड़ी तेजी से फैल रही है. वहीं, प्रवीण की काबिलियत पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने भी पूरा भरोसा जताया है. उनका मानना ​​है कि प्रवीण प्रशिक्षित ग्रेजुएट टीचर की नौकरी भी सुरक्षित कर लेंगे. इतने सारे बेहतर विकल्पों में प्रवीण कुमार के लिए किसी एक नौकरी का चुनाव करना थोड़ा मुश्किल है.  

ये नियुक्तियां प्रवीण को हायर सेकंडरी स्टूडेंट्स (कक्षा XI और XII) को पढ़ाने के लिए योग्य बनाती हैं. एक तरफ तो इन नौकरियों में सैलरी के तौर पर लगभग 73,000 से 83,000 रुपये का महीने मिलते हैं. जबकि, वर्तमान में उन्हें केवल 9,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है. वह तेलंगाना के मंचेरियल जिले के एक छोटे से गांव से आते हैं, उनके पिता एक राजमिस्त्री और मां बीड़ी कार्यकर्ता हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया से हुई बातचीत के दौरान प्रवीण ने बताया कि उनके पास एमकॉम, बीएड और एमएड जैसी कई डिग्रियां होने के बावजूद उन्होंने चौकीदार की नौकरी (आउटसोर्सिंग कर्मचारी के रूप में) की. उन्होंने इसके पीछे कारण बताते हुए कहा कि वह सरकारी नौकरियों की तैयारी के लिए पर्याप्त समय चाहते थे, जो इस नौकरी के दौरान उन्होंने निकाली. 

प्रवीण ने बताई गार्ड का काम करने की वजह

प्रवीण ने कहा, "मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि मैं नौकरी कर रहा हूं. मेरे पास एक कमरा था, किताबों-स्टडी  मटेरियल तक पहुंच थी और पढ़ाई के लिए समय था. पढ़ने के लिए तो यही सब मायने रखता है," प्रवीण ने खुद बताया कि उन्होंने ही यूनिवर्सिटी परिसर में एजुकेशनल मल्टीमीडिया रिसर्च केंद्र में नाइट गार्ड के तौर पर नौकरी के लिए रिक्वेस्ट की थी, जिससे कि उन्हें सुबह के समय स्टडी के लिए ज्यादा समय मिलेगा.

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