आखिर ट्रेन की टिकट बुक करते समय हम क्यों नहीं चुन सकते अपनी सीट? आपकी जान से जुड़ा है मामला
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आखिर ट्रेन की टिकट बुक करते समय हम क्यों नहीं चुन सकते अपनी सीट? आपकी जान से जुड़ा है मामला

Indian Railway Interesting Fact: आपने ट्रेन में कई बार सफर किया होगा, लेकिन कभी सोचा है कि आखिर ट्रेन की टिकट बुक करते समय आप अपनी ही सीट का सेलेक्शन क्यों नहीं कर सकते. अगर नहीं, तो जानें इसके पीछे की साइंटिफिक वजह.

आखिर ट्रेन की टिकट बुक करते समय हम क्यों नहीं चुन सकते अपनी सीट? आपकी जान से जुड़ा है मामला

Indian Railway Interesting Fact: भारतीय रेलवे हमारे देश की लाइफ-लाइन कही जाती है. इसने यात्रियों के लिए यात्रा की गुणवत्ता को बढ़ाने पर लगातार काम किया है. वहीं, अगर आप अक्सर ट्रेन में सफर करते हैं, तो आपने इस बात पर जरूर गौर किया होगा कि ट्रेन की टिकट बुक करते समय आप सीट का सेलेक्शन नहीं कर सकते. अब आप यह जानते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है कि आईआरसीटीसी (IRCTC) आपको आपकी सीट चुनने की इजाजत क्यों नहीं देता. अगर नहीं, तो आइये आज हम आपको इसके पीछे की साइंटिफिक वजह के बारे में बताते हैं.

इसलिए आप नहीं चुन सकते अपनी सीट
दरअसल, आपने देखा होगा कि मूवी या बस की टिकट बुक करने के दौरान आप सीट का सेलेक्शन कर सकते हैं, लेकिन ट्रेन की सीट बुक करने के दौरान आपको यह ऑप्शन नहीं दिया जाता है. बता दें कि सिनेमा हॉल और ट्रेनों में सीट सेलेक्शन की प्रक्रिया अलग-अलग होती है. सिनेमा हॉल वो जगह है, जो एक जगह से दूसरी जगह मूव नहीं होती. जबकि, दूसरी ओर ट्रेनों को लगातार चलते रहना होता है. इसलिए, आईआरसीटीसी एल्गोरिदम चलती ट्रेन में भार को समान रूप से बैलेंस करने के लिए ऑटोमेटिक तरीके से सीट अलॉट करता है.

उदाहरण के जरिए समझें
आइये आपको एक उदाहरण के जरिए समझाते हैं. मान लीजिए कि एक ट्रेन में स्लीपर कोच क्रमांक S1, S2, S3...S10 तक हैं. तो ट्रेन के हर कोच में 72-72 सीटें होंगी. अब अगर कोई व्यक्ति पहली बार टिकट बुक करता है, तो सॉफ्टवेयर उसे ट्रेन के बीच वाले डिब्बे यानी S5 में सबसे पहले सीट अलॉट करेगा और वो भी सीट नंबर 30 से 40 के बीच में. वहीं, आईआरसीटीसी सबसे पहले लोअर बर्थ बुक करता है ताकि गुरुत्वाकर्षण का केंद्र ( Centre of Gravity) कम रहे.

इस तरह होता है सीटों का अलॉटमेंट
आईआरसीटीसी का सॉफ्टवेयर इस तरह से काम करता है कि यात्रा के दौरान ट्रेन के सभी कोचों में यात्रियों की संख्या समान हो. ट्रेन की सीटों का अलॉटमेंट बीच की सीटों से शुरू होता है, फिर यह कोच के दरवाजे के पास वाली सीटों तक जाता है. इस तरह, आईआरसीटीसी सॉफ्टवेयर अपने एल्गोरिदम के जरिए ट्रेन का बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है.

ऐसा करने के ट्रेन पटरी से नहीं उतरती
बता दें कि ज्यादा सेंट्रीफ्यूगल फोर्स (Centrifugal Force) के कारण ट्रेन के पटरी से उतरने की संभावना बढ़ सकती है. इसलिए, भारतीय रेलवे इस जिम्मेदारी को अपने पास की सुरक्षित रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि यात्रियों को समान रूप से डिस्ट्रीब्यूट किया जाए.

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