CPEC Project: 26 जनवरी को पाकिस्तान में चीन के पॉलिटिकल सेक्रेटरी वांग शेंगजी ने एक ब्रिटिश अखबार को इंटरव्यू देते हुए ये कह दिया कि सीपीईसी परियोजना को लेकर हमारी गहरी चिंताएं हैं.
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China-Pakistan Relations: पाकिस्तान में 20 जनवरी को तटीय इलाके ग्वादर में मुल्क के सबसे बड़े एयरपोर्ट का उद्घाटन किया गया. ये इलाका बलूचिस्तान प्रांत में पड़ता है. एयरपोर्ट का निर्माण चीन की महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) परियोजना के तहत हो रहा है. साल 2015 में शुरू हुई सीपीईसी परियोजना चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है. इस इनिशिएटिव के जरिये चीन एक ट्रेड रूट बनाकर एशिया और अफ्रीका तक अपना दबदबा बनाना चाहता है.
2015 में जिस जोश-खरोश के साथ चीन ने ग्वादर में काम शुरू किया वो अब लगभग एक दशक बाद ठंडा पड़ता दिख रहा है. इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि 26 जनवरी को पाकिस्तान में चीन के पॉलिटिकल सेक्रेटरी वांग शेंगजी ने एक ब्रिटिश अखबार को इंटरव्यू देते हुए ये कह दिया कि सीपीईसी परियोजना को लेकर हमारी गहरी चिंताएं हैं. यहां के लोगों में चीन के खिलाफ नफरत का भाव है. ऐसे में अगर ग्वादर में सुरक्षा बेहतर नहीं होती है तो यहां कौन आएगा. वो दरअसल हालिया दौर में ग्वादर में चीनी कर्मचारियों पर हुए हमलों के संदर्भ में ये बात कह रहे थे लेकिन उनके बयान का असर दूर तक हुआ. बीजिंग ने इसका खंडन करते हुए इंटरव्यू के बारे में कह दिया कि जो उनके नेता ने कहा भी नहीं उसको एजेंडे के तहत छाप दिया गया. कुछ शक्तियां सीपीईसी परियोजना को समाप्त करना चाहती हैं. पाकिस्तान ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इंटरव्यू में कही गई बात को खारिज कर दिया.
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हंगामा क्यूं है बरपा
दरअसल सच तो ये है कि जब ग्वादर में इस परियोजना की शुरुआत हुई थी तो पाकिस्तान ने इसका ढिंढोरा इस तरह पीटा था कि वो ग्वादर में पाकिस्तान का दुबई बनाने जा रहे हैं. जब सीपीईसी परियोजना शुरू हुई थी तो बलूचिस्तान प्रांत में चीन को 62 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट बनाने थे. इनमें एयरपोर्ट, हाइवे, रेलवे स्टेशन, बंदरगाह, पावर प्लांट समेत कई बड़ी-बड़ी योजनाएं शामिल थीं. चीनी राजनयिक ने इंटरव्यू में परोक्ष रूप से स्वीकार भी किया कि पाकिस्तान ने अपने लोगों को जरूरत से ज्यादा बड़े सपने दिखा दिए. इसका असर ये हुआ कि लोगों की अपेक्षाएं वहां बहुत बढ़ गईं जबकि प्रोजेक्ट उस तेजी से आगे नहीं बढ़ा.
लोगों को अपेक्षा के अनुरूप रोजगार नहीं मिला. उन्होंने अपनी जमीनों को चीनियों के हाथ में जाते देखा. उनका बंदरगाह उनके हाथ से चला गया. मछुआरे तक समंदर में जाने के लिए चीनी अनुमति का इंतजार करने लगे. कहने का आशय ये कि सब कुछ चीनियों की इच्छा के अनुरूप होने लगा. पहले से ही अलगाववाद की आग में झुलस रहा बलूचिस्तान इस बात से चिढ़ गया. वहां के आतंकी संगठनों ने चीनी नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. चीन और पाकिस्तान के बीच संबंधों में खटास आ गई. उसकी ध्वनि इस इंटरव्यू में सुनी जा सकती है.
गधों की फैक्ट्री
ग्वादर के लोगों की एक बड़ी शिकायत ये है कि इतने बड़े सब्जबाग दिखाए गए लेकिन कुछ भी अच्छा नहीं हुआ. उनका आरोप है कि चीन हमारे संसाधनों का दोहन कर रहा है. पूरे ग्वादर को एक हाई सिक्योरिटी जेल में बदल दिया गया. चीनी कर्मचारियों के लिए अलग इलाके बनाए गए. हर गली-नुक्कड़ पर सिक्योरिटी चेकप्वाइंट्स बना दिए गए. गौरतलब है कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का अशांत क्षेत्र है. इस पर चिढ़ाने वाली बात ये हुई कि यहां गधों को मारने की फैक्ट्री, बूचड़खाने लगाए जा रहे हैं. अफ्रीका से ये गधे मंगाए जा रहे हैं और इन्हें मारकर चीन भेजा जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 2,16,000 गधों की खाल और मांस की आपूर्ति चीन को की जाएगी. दरअसल गधे का मीट चीन के हेबेई प्रांत में खासा लोकप्रिय है. वहां बर्गर में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वहां के रेस्टोरेंट में गधे की तस्वीरों के बोर्ड आसानी से देखे जा सकते हैं.
इसी तरह गधे की खाल से निकाले गए कोलेजन का इस्तेमाल चीन में पारंपरिक दवाई एजियाओ में किया जाता है. इस कोलेजन को जड़ी-बूटियों और अन्य सामग्रियों के साथ मिलाकर कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के लिए गोलियां या क्रीम बनाने में किया जाता है. एजियाओ इंडस्ट्री ने चीन में हालिया दौर में काफी प्रगति की है. एक रिपोर्ट के मुताबिक एजियाओ का उत्पादन पिछले पांच वर्षों में 160 प्रतिशत तक बढ़ा है. उसके 2027 तक 200 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है.