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Share Market: शेयर बाजार को ये किसकी नजर लग गई है, ऐसा गिर रहा कि थमने का नाम नहीं ले रहा. शेयर बाजार में गिरावट का ये दौर खत्म ही नहीं हो रहा. बाजार में पैसा लगाने वाले लाखों निवेशकों के मन में यही सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये बाजार कब उठेगा? शेयर बाजार के पीछे ये कौन पड गया है? छुट्टी के बाद जब सोमवार, 10 फरवरी को शेयर बाजार खुला खुलते ही धड़ाम हो गया. 12.30 बजे तक सेंसेक्स 663.58 अंकों की गिरावट के साथ 77,196.61 अंक पर पहुंच गया. वहीं Nifty50 इंडेक्स 191.40 अंक की गिरावट के साथ 23,368.55 पर कारोबार कर रहा था. इस गिरावट के बीएसई में लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप 5.15 लाख करोड़ रुपये कम होकर 418.78 लाख करोड़ रुपये रह गया.
क्यों गिर रहा शेयर बाजार
शेयर बाजार पर ट्रंप की धमकियों का असर दिखने लगा है. अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से वो लगातार टैरिफ की धमकियां दे रहे हैं. कनाडा, मैक्सिको और चीन जैसे देशों में टैरिफ बढ़ाने के बाद उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी धमकी दी है कि इस हफ्ते वो कुछ और देशों पर नए टैक्स का ऐलान करेंगे. ट्रंप के टैरिफ वॉर के चलते शेयर बाजार के निवेशक फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं.
इनकम टैक्स में 12 लाख की छूट भी काम नहीं कर पाई
बजट 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स से 12 लाख तक की कमाई को बाहर रखा. वित्त मंत्री ने नए टैक्स सिस्टम के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स फ्री कर दिया. मिडिल क्लास को राहत देने के लिए टैक्स सिस्टम में बदलाव किए गए, ताकि उनके हाथों में अधिक कैस बच सकें और लोगों की खपत क्षमता बढ़े. उम्मीद की जा रही थी कि इन ऐलानों से बाजार में सकारात्मक रूख बरकरार रहेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. टैक्स में कटौती लोगों के लिए तो फायदेमंद है, लेकिन इसका व्यापक आर्थिक विकास या निवेशकों का विश्वास बढ़ाने में योगदान नहीं दिखा.
होम लोन की ब्याज दरें भी घटी, फिर भी सुस्त है बाजार
बजट के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर कर्जधारकों को राहत दी. कर्ज की ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की गई, लेकिन इसका भी असर बाजार पर नहीं देखने को मिला. इन राहतों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियां भारी पड़ रही है. बाजार को पहले से ही इस कटौती की उम्मीद थी, जिसकी वजह से ऐलान के बाद मार्केट पर बहुत असर देखने को नहीं मिला.
बीजेपी की जीत भी बाजार को खुश नहीं कर पाई
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 27 साल बाद बीजेपी ने जीत हासिल की. उम्मीद थी कि जीत के नतीजों का असर शेयर बाजार पर दिखेगा. भाजपा की जीत बाजार के नजरिए से सकारात्मक तो हैस लेकिन वो बाजार में एक लंबी चल सकने वाली रैली को ट्रिगर करने नहीं कर सकती. बाजार इस जीत को भुनाने में सफल नहीं हो सका
बाजार पर दवाब
अमेरिका के टैरिफ वार के अलावा विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी के चलते शेयर बाजार भारी दवाब में है. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) की बिकवाली 470.39 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. वहीं एशियाई बाजारों में जापान का निक्की, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और हांगकांग का हैंगसेंग गिरावट में रहे.
दवाब में भारतीय रुपया
डॉलर के मुकाबले बारतीय रूपया भारी दवाब में है. सोमवार को रुपया एक नए ऑल-टाइम लो पर पहुंच गया. अमेरिकी ट्रेड टैरिफ की आशंकाओं ने ज्यादातर एशियन करेंसीज़ को कमजोर कर दिया. कारोबार के शुरुआत में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.95 तक कमजोर हो गया. रूपया के लगातार कमजोर होने की वजह से शेयर बाजार धड़ाम हो रहा है.