हर पांच मिनट में किसी न किसी को स्ट्रोक होता है, जो इसे मौत का एक प्रमुख कारण बनाता है. वहीं, अगर कोई इससे बच जाता है तो वह जीवन भर के लिए विकलांग हो जाता है.
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हर पांच मिनट में किसी न किसी को स्ट्रोक होता है, जो इसे मौत का एक प्रमुख कारण बनाता है. वहीं, अगर कोई इससे बच जाता है तो वह जीवन भर के लिए विकलांग हो जाता है. एक्सपर्ट के अनुसार, स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क को खून की आपूर्ति में रुकावट आ जाती है या कम हो जाती है.
स्ट्रोक के दो मुख्य प्रकार हैं. एक है इस्केमिक स्ट्रोक, जो तक होता है जब दिमाग में खून का फ्लो रुक जाता है (आमतौर पर एक थक्के के कारण) और दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और सेल्स मर जाती हैं. जबकि दूसरा हेमरेजिक स्ट्रोक, जब दिमाग में ब्लीडिंग हो जाती है. ज्यादातर स्ट्रोक इस्केमिक होते हैं और कुछ रिस्क फैक्टर से जुड़े होते हैं.
क्या स्ट्रोक को रोका जा सकता है?
स्ट्रोक को हमेशा रोकना संभव नहीं होता, क्योंकि कुछ रिस्क फैक्टर बदलने योग्य नहीं होते हैं. इसमें ज्यादातर 60-70 साल के उम्र के लोग शामिल होते है, हालांकि कोई भी व्यक्ति इससे संभावित रूप से प्रभावित हो सकता है. इसके अलावा, जेनेटिक, पारिवारिक इतिहास और कुछ इलाकों में रहने वाले लोग (स्ट्रोक का खतरा आमतौर पर दक्षिण एशियाई, अफ्रीकी या कैरेबियाई लोगों में ज्य्दा होता है. कुछ अन्य बीमारियों का होना भी स्ट्रोक से लिंक हो सकता है.
20 से 30 साल के लोग स्ट्रोक को कैसे रोकें?
रिसर्च बताते हैं कि लाइफस्टाइल की आदतें जो जीवन में पहले अपनाई जाती हैं, बाद के जीवन में दिल की सेहतमंद बनाए रखने में मदद कर सकती हैं. हालांकि 20 से 30 साल को लोगों में स्ट्रोक सामान्य बात नहीं है, लेकिन बाद में हाई ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल विकसित होने के खतरे को कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल का होना महत्वपूर्ण है. हाई ब्लड प्रेशर स्ट्रोक का एक प्रमुख रिस्क फैक्टर है. हेल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखने से आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है और स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है.
40 से 50 साल के लोग स्ट्रोक को कैसे रोकें?
जैसे ही आप मध्य जीवन में प्रवेश करते हैं तो आपके द्वारा अपनाई गई हेल्दी आदतें अब भी महत्वपूर्ण हैं. हालांकि, कुछ एक्स्ट्रा बातों पर भी विचार किया जा सकता है. 40 से 50 साल के लोगों को अपने डॉक्टर से मिलकर ब्लड प्रेशर की जांच करवाना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. हाई ब्लड प्रेशर में कोई लक्षण नहीं हो सकते हैं और कई वर्षों तक किसी का ध्यान नहीं जा सकता है, जब तक कि कुछ नुकसान हो चुका हो. ब्लड टेस्ट कराना, जैसे कि कोलेस्ट्रॉल का लेवल और डायबिटीज के लिए ग्लूकोज टेस्ट, रिस्क फैक्टर को मैनेज करने में मदद कर सकती है. दिल की सेहत का आकलन करने के लिए कई अन्य ब्लड मार्कर उपयोगी होते हैं.
60 से ज्यादा उम्र के लोग स्ट्रोक को कैसे रोकें?
60, 70 और 80 की उम्र में प्रवेश करते हुए पहले से मौजूद बीमारियों का अच्छी तरह मैनेज करना बहुत जरूरी है. स्ट्रोक के लिए एक और महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर एट्रियल फिब्रिलेशन (AF) है. यह एक तेज, अनियमित दिल की धड़कन है जिसका आमतौर पर 60 साल की उम्र के बाद डायग्नोस किया जाता है, लेकिन यह किसी को भी किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है. एट्रियल फिब्रिलेशन बुढ़ापे के कारण कमजोर पड़ने वाले दिल की प्रणाली और खराब दिल की सेहत से जुड़े रिस्क फैक्टर के कारण होता है. इससे दिल अच्छी तरह से पंप नहीं करता है और खून के थक्के बनने का खतरा होता है. यदि ये थक्के सामान्य ब्लड सर्कुलेशन में जाते हैं, तो स्ट्रोक का खतरा होता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.