Sushil Modi Throat Cancer: बिहार में लोकसभा इलेक्शन से पहले सीनियर बीजेपी लीडर सुशील मोदी ने अपनी जानलेवा बीमारी के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि वह पिछले 6 महीने से गले के कैंसर से लड़ रहे हैं.
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बिहार में शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के सीनियर लीडर और पूर्व डिप्टी सीएम 72 वर्षीय सुशील मोदी पार्टी के प्रचार प्रसार में नजर नहीं आएंगे. इसका खुलासा 3 अप्रैल को खुद राजनेता ने सोशल मीडिया 'X' के माध्यम से किया है. उन्होंने बताया कि वह कैंसर से पीड़ित हैं और पिछले 6 महीने से वह इस जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुशील मोदी के करीबी व्यक्ति ने इस बात की पुष्टि की है कि वह गले के कैंसर से पीड़ित हैं. यह कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में फैलते हुए लंग्स तक पहुंच गया है. इसके कारण राजनेता सही तरह से बोल नहीं पा रहे हैं. वैसे तो इस कैंसर का इलाज मुमकिन होता है लेकिन इसके लिए शुरुआती स्टेज पर ही इसकी पहचान जरूरी है. एक बार यह फैलना शुरू हो गया तो इससे बच पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है.
इस स्टेज पर पहुंच चुका है सुशील मोदी का कैंसर
मेमोरियल सोलन केटरिंग कैंसर सेंटर के अनुसार, गले का कैंसर अपने 4 स्टेज में अपने शुरुआती प्वाइंट से दूर स्थित हिस्सों में फैलने लगता है. इसमें मुख्य रूप से फेफड़े शामिल होते हैं. हालांकि स्टेज 3 से ही ट्यूमर के फैलने का सिलसिला चालू हो जाता है लेकिन इस स्टेज पर वह सिर्फ गले के आसपास के अंग जैसे- लिम्फ नोड तक ही पहुंचता है. यानी की मेटास्टेटिक स्टेज में पहुंच जाता है.
क्या मेटास्टेटिक कैंसर ठीक हो सकता है
कैंसर.नेट के मुताबिक, कुछ स्थितियों में, मेटास्टैटिक कैंसर का इलाज किया जा सकता है. लेकिन अधिकांश मेटास्टैटिक कैंसर को इलाज से केवल धीमा किया जा सकता है और इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है. हालांकि मेटास्टैटिक बीमारी के विकास के बाद भी कुछ प्रकार के कैंसर के साथ कई महीनों या वर्षों तक जीवित रहना संभव है.
4th स्टेज कैंसर में बचने की कितनी संभावना होती है
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (NCI) के अनुसार, गले के कैंसर के स्टेज 4 पर पहुंचने के बाद इससे बचने की संभावना बहुत कम हो जाती है. कुल मरीजों में से केवल 39.1 प्रतिशत लोग ही 5 साल तक सर्वाइव कर पाते हैं.
इसलिए जरूरी है गले के शुरुआती लक्षणों को याद रखना
जबड़े की रेखा से लगभग दो इंच नीचे गर्दन में गांठ
लगातार खराश
एक तरफ सुस्त कान का दर्द
एक टॉन्सिल जो दूसरे से बड़ा और/या अलग आकार का होता है
टॉन्सिल या तालू पर लाल या सफेद धब्बा
मुंह से खून आना
लगातार खांसी
इन वजहों से आप भी हो सकते हैं थ्रोट कैंसर के मरीज
धूम्रपान और चबाने वाले तंबाकू सहित तंबाकू का उपयोग, शराब का अत्यधिक सेवन, ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) और एपस्टीन-बार वायरस सहित वायरल संक्रमण, फलों और सब्जियों में कमी वाला आहार, गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD,विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से आप भी गले के कैंसर से ग्रसित हो सकते हैं.