Harsha Richariya Controversy: आस्था और अध्यात्म का सबसे बड़ा संगम प्रयागराज महाकुंभ इस बार एक अनोखे विवाद का गवाह बन रहा है. मॉडल से साध्वी बनीं हर्षा रिछारिया ने अपने भगवा वस्त्र और शाही रथ पर सवारी के कारण सबका ध्यान खींचा.
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Harsha Richariya Controversy: आस्था और अध्यात्म का सबसे बड़ा संगम प्रयागराज महाकुंभ इस बार एक अनोखे विवाद का गवाह बन रहा है. मॉडल से साध्वी बनीं हर्षा रिछारिया ने अपने भगवा वस्त्र और शाही रथ पर सवारी के कारण सबका ध्यान खींचा. लेकिन उनकी उपस्थिति ने संत समाज के एक बड़े तबके को नाराज कर दिया. हर्षा का कहना है कि उन्हें कुंभ में हिस्सा लेने से रोका जा रहा है और वे सिर्फ एक बंद कमरे में रहने को मजबूर हैं. रोते हुए उन्होंने स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज पर गंभीर आरोप लगाए और कहा.. आनंद स्वरूप को पाप लगेगा.
संत समाज की नाराजगी
हर्षा रिछारिया ने निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ली थी. इसके बाद वे भगवा वस्त्र पहनकर शाही रथ पर सवार हुईं और अमृत स्नान में हिस्सा लिया. लेकिन संत समाज के कई बड़े धर्माचार्यों ने इस पर आपत्ति जताई. बेंगलुरु के शाकंभरी मठ के पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज ने इसे धर्म के खिलाफ बताते हुए कहा कि महिला मॉडल को भगवा वस्त्र पहनाकर शामिल करना गलत है. उनका मानना है कि यह महाकुंभ की परंपराओं और सनातन धर्म का मजाक उड़ाने जैसा है.
धर्म और विवाद का संगम
सनातन धर्म का सबसे बड़ा आयोजन महाकुंभ धर्म और अध्यात्म की चर्चा जोरों पर है. लेकिन इस बार यह आयोजन विवादों में घिर गया है. स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि हर्षा को एक भक्त के रूप में शामिल किया जा सकता था. लेकिन भगवा वस्त्र पहनाकर और शाही रथ पर बिठाकर उसे पेश करना गलत परंपरा की शुरुआत है. उन्होंने कहा कि महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता देखी जानी चाहिए. यह आयोजन धर्म और आध्यात्मिकता का प्रतीक है न कि किसी प्रचार या मार्केटिंग इवेंट का.
हर्षा का दर्द.. रो-रोकर लगाए आरोप
हर्षा रिछारिया ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें इस कुंभ में शामिल होने से रोका जा रहा है. उन्होंने रोते हुए कहा कि यह मेरे जीवन का आखिरी कुंभ हो सकता है, लेकिन मुझे यहां बंद कमरे में रखा जा रहा है. उन्होंने स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे उन्हें जानबूझकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
संतों के विरोध के पीछे की वजह
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी हर्षा की शाही रथ पर सवारी और अमृत स्नान में शामिल होने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि महाकुंभ की परंपराएं बहुत पुरानी हैं और इन्हें तोड़ना या बदलना विकृत मानसिकता का नतीजा है. स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से महाकुंभ की गरिमा कम होती है. उन्होंने इसे धर्म के नाम पर प्रचार और मजाक बताया.
क्या है समाधान?
धर्माचार्यों ने इस विवाद को सुलझाने के लिए सख्त कदम उठाने की बात कही है. स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि धर्माचार्यों के साथ चर्चा कर इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के उपाय किए जाएंगे. महाकुंभ का उद्देश्य धर्म और अध्यात्म का प्रचार करना है, लेकिन इस बार यह आयोजन विवादों में घिर गया है. मॉडल से साध्वी बनीं हर्षा रिछारिया की कहानी न केवल धर्म और परंपराओं की जटिलताओं को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए इन परंपराओं का महत्व कितना गहरा है.