फिल्म से प्रेरणा लेकर बेटियों को बनाया नेशनल लेवल पहलवान, जानें क्या है संघर्ष की कहानी
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फिल्म से प्रेरणा लेकर बेटियों को बनाया नेशनल लेवल पहलवान, जानें क्या है संघर्ष की कहानी

Bihar News: बेगूसराय से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर बखरी अनुमंडल के रहने वाले मुकेश स्वर्णकार आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. बेहद ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुकेश स्वर्णकार के संबंध में यह कहा जाता है की गांव की मिट्टी से उन्होंने दो राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ियों को पैदा किया.

फिल्म से प्रेरणा लेकर बेटियों को बनाया नेशनल लेवल पहलवान, जानें क्या है संघर्ष की कहानी

बेगूसराय:Bihar News: बेगूसराय से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर बखरी अनुमंडल के रहने वाले मुकेश स्वर्णकार आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. बेहद ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुकेश स्वर्णकार के संबंध में यह कहा जाता है की गांव की मिट्टी से उन्होंने दो राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ियों को पैदा किया. जिसको लेकर ना सिर्फ बेगूसराय बल्कि बिहार के लोग भी गर्व कर रहे हैं. बताया जाता है की मुकेश स्वर्णकार और उनके परिवार के लोगों ने वर्ष 2016 में आमिर खान की फिल्म दंगल को देखा. फिल्म को देखकर पिता और उनकी दो बेटियां इतनी प्रभावित हुई की दोनों बेटियों को कुश्ती का खिलाड़ी बनाने का संकल्प ले लिया. तब से शुरू हुआ यह सफर आज राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनकर रोज नये नये आयाम लिख रहा है.

ऐसा नहीं है कि यह सफर इतना आसान था. परिवार के लोग बताते हैं कि शुरुआत के दिनों में बेटी को पहलवान बनाने की बात सुनकर लोग जैसे तैसे ताने कसते थे. कई दफे तो अपना रास्ता बदल लेने का मन हुआ पर हिम्मत नहीं हारी और नये संकल्प के साथ आगे बढ़ते गए. जिसके बाद आज वही समाज हित और उनकी दो बेटियों पर नाज कर रहा है. एक पिता और उनकी दो बेटियों के संघर्ष की यह कहानी आज न सिर्फ नये खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है बल्कि ने आज पूरे राज्य को आज अपनी दो बेटियों पर गर्व है.

निर्जला और शालिनी की इस कामयाबी मे दोनों ने कभी शॉर्टकट का रास्ता नहीं अपनाया बल्कि अपने घर के समीप नहीं कुश्ती का मैदान तैयार कर रात दिन मेहनत की. निर्जला कहती हैं पहली बार साल 2018 में चैती दुर्गा पर महिला कुश्ती का आयोजन हुआ था. जिसमे शालिनी दीदी के साथ पहली बार की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया.. इस प्रतियोगिता में शालिनी जिससे लड़ी वह मुकाबला ड्रॉ रहा.जबकि निर्जला ने प्रतिद्वंदी को पछाड़कर मुकाबला जीत लिया. जिसके बाद से पिता मुकेश के साथ प्रतिदिन सुबह शकरपुरा मैदान में प्रैक्टिस के लिए जाने लगीं।

बेगूसराय जिला के बखरी प्रखंड के सलौना के रहने वाले मुकेश स्वर्णकार की आर्थिक हालत काफी कमजोर थी . मां पूनम देवी अपनी सास के साथ मिलकर किराना दुकान चलाकर अपने दोनों बेटियों का दाखिला अयोध्या नंदनी नगर एकेडमी में करवाया जहां उसकी दुनिया ही बदल गई.

इनपुट- जितेंद्र चौधरी

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