जिस जिले के प्रभारी मंत्री हैं उसी जिले के संस्कृत विद्यालय को संस्कृत का शिक्षक नहीं दे पा रहे शिक्षा मंत्री
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जिस जिले के प्रभारी मंत्री हैं उसी जिले के संस्कृत विद्यालय को संस्कृत का शिक्षक नहीं दे पा रहे शिक्षा मंत्री

Motihari News:  बिहार के मोतिहारी में इकलौते संस्कृत विद्यालय में संस्कृत का एक भी शिक्षक ही नहीं है. जिससे छात्रों को पढ़ाई में काफी परेशानी होता है.

संस्कृत विद्यालय

मोतिहारी: मोतिहारी में संस्कृत शिक्षा को लेकर जिला प्रशासन से लेकर सरकार कितना गंभीर है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्वी और पश्चिमी चंपारण का एकलौता आवासीय संस्कृत विद्यालय की स्थिति दयनीय हो गई है. जिला मुख्यालय के धर्म समाज मोहल्ला में स्थित चंपारण के एकमात्र राजकीय संस्कृत हाईस्कूल में एक भी नियमित शिक्षक नहीं हैं. विद्यालय संचालन के लिए प्रधानाध्यापक सहित दो विज्ञान और एक गणित के शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की गई है. मगर, एक भी संस्कृत शिक्षक नहीं हैं. इसका असर विद्यालय में बच्चों के नामांकन व उपस्थिति पर साफ दिखाई दे रहा है.

कई चरण की बहाली के बाद भी इस विद्यालय में संस्कृत शिक्षक को नहीं भेजा गया है. यह हालत उस स्कूल की है जहां के प्रभारी मंत्री सूबे के शिक्षा मंत्री के हैं. इस इकलौते संस्कृत आवासीय हाईस्कूल में छात्रावास की भी सुविधा है. मगर, इस संस्कृत हाईस्कूल में संस्कृत विषय के शिक्षक ही नहीं हैं. इसका प्रभाव इस विद्यालय में नामांकन व नामांकित बच्चों की उपस्थिति पर साफ देखा जा सकता है. विद्यालय के जर्जर छात्रावास में तकरीबन आठ छात्र रह रहे हैं.

वहीं चार कक्षाओं वाले इस हाईस्कूल में कुल 15 छात्र का नामांकन है. इनमें दूसरे जिलों के बच्चे भी शामिल हैं. प्रभारी प्राचार्य आनंद मोहन मिश्रा ने बताया कि संस्कृत शिक्षक के अभाव में अभिभावक व छात्र इस स्कूल से विमुख हो रहे हैं. लंबे समय से इस स्कूल में संस्कृत शिक्षक नहीं हैं. स्कूल में प्रतिनियुक्त एकमात्र संस्कृत शिक्षक की बीपीएससी से शिक्षक के पद पर अन्यत्र बहाली हो गयी. इस कारण फरवरी, 2024 से इस विद्यालय में संस्कृत शिक्षक का पद खाली है. यही कारण है कि विद्यार्थी इस विद्यालय से दूरी बनाने लगे हैं. विद्यालय के पास किसी भी प्रकार का विकास फंड नहीं है. इससे हम चाहकर भी मदद नहीं कर पाते हैं.

राजकीय संस्कृत हाईस्कूल धर्म समाज पूर्वी व पश्चिमी चंपारण का एकमात्र राजकीय संस्कृत आवासीय विद्यालय है. यहां प्रथमा प्रथम वर्ष, प्रथमा द्वितीय वर्ष, मध्यमा प्रथम वर्ष व मध्यमा द्वितीय वर्ष की पढ़ाई होती है. यहां से उत्तीर्ण छात्रों को मैट्रिक के समकक्ष मध्यमा की डिग्री प्रदान की जाती है. मगर, आधारभूत संरचना, मूलभूत सुविधा व संस्कृत शिक्षक के अभाव में स्कूल की गरिमा लगातार कम हो रही है. नामांकन कराने वालों का भी रुझान घटता जा रहा है.

विद्यार्थियों ने बताया कि घर दूर होने से छात्रावास में रहने की मजबूरी है. छात्रावास में सीतामढ़ी व बेतिया जिला के विद्यार्थी रहते हैं. मगर, यहां रहने लायक कोई सुविधा नहीं है. छात्रावास का भवन जर्जर स्थिति में है. यहां छात्रावास में 12 कमरे हैं, जिसमें आठ बच्चे रहते हैं. छात्रावास में रह रहे बच्चों को किसी तरह का मैगजीन व अखबार नहीं मिल पाता है. स्कूल की चारदीवारी काफी छोटी है. इसे स्थानीय मोहल्ला के लोगों ने जगह-जगह क्षतिग्रस्त भी कर दिया है. इससे असामाजिक तत्व आसानी से स्कूल के कैंपस में प्रवेश कर जाते हैं.

साथ ही शाम ढलने के साथ उनका आतंक बढ़ जाता है. छात्रावास में रह रहे बच्चों को धमकाते हैं तथा धूम्रपान भी करते हैं.

विज्ञान शिक्षक राकेश कुमार ने बताया कि स्कूल में डेस्क-बेंच व उपस्कर का अभाव है. भवन की मरम्मत लंबे समय से नहीं हो पायी है. प्लास्टर उखड़कर गिरने लगा है. डेस्क-बेंच के अभाव में बच्चों को बैठने में दिक्कत होती है. शिक्षिका संगीता मिश्रा ने बताया कि वह विज्ञान की शिक्षिका है. शिवधर अनुठा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से उनकी प्रतिनियुक्ति इस विद्यालय में की गयी है. इस स्कूल में विज्ञान शिक्षक ही हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान व संस्कृत विषय पढ़ाते हैं. संस्कृत के विद्यालय में संस्कृत विषय के ही शिक्षक नहीं हैं. इसका असर बच्चों की उपस्थिति पर पड़ रहा है.

विद्यालय कैंपस में पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है. तीन चापाकल में एक चालू स्थिति में है. कैंपस में स्थापित इस चापाकल की गहराई काफी कम है. इस कारण इस चापाकल का पानी घंटे भर में ही पीला पड़ जाता है. विद्यालय परिसर में जनरेटर की सुविधा नहीं है. इससे रात में बिजली कटते ही अंधेरा छा जाता है. पूर्व डीईओ विनोदानंद झा के कार्यकाल में इस विद्यालय में चार नियमित शिक्षकों का नियोजन हुआ था. कालांतर में शिक्षकों का नियोजन यहां से अन्यत्र कर दिया गया या सेवानिवृत्त हो गए. इस विद्यालय से अध्ययनरत विद्वान देश के विभिन्न क्षेत्रों में अध्ययन-अध्यापक कर रहे हैं. परंतु वर्तमान में व्यवस्था के अभाव में छात्र इस विद्यालय से दूरी बनाने लगे हैं. विद्यालय भवन व छात्रावास जर्जर स्थिति में है.

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इस विद्यालय के वैभव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ वर्ष पहले तक यहां किसी भी धार्मिक निर्णय के लिए दूसरे जिलों से लोग पहुंचते थे. शास्त्रार्थ के पश्चात विद्वान लोगों के बीच एक निर्णय लिया जाता था. जिसे जिले भर के लोग मानते भी थे. यहां के पुस्तकालय में दुर्लभ ग्रंथ, पांडुलिपियां व ताड़ पत्र पर लिखे ग्रंथ उपलब्ध थे. रखरखाव के अभाव में सब नष्ट हो रहे हैं.

इनपुट- पंकज कुमार

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