सासाराम तुतला भवानी के पास हैंगिंग ब्रिज पर उठ रहे सवाल, वन विभाग ने शुरू की जांच
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सासाराम तुतला भवानी के पास हैंगिंग ब्रिज पर उठ रहे सवाल, वन विभाग ने शुरू की जांच

रोहतास जिला के तिलौथू के पास स्थित तुतला भवानी जलप्रपात है. यहां स्थित तुतला भवानी मंदिर तक पहुंचने के लिए वन विभाग ने हैंगिंग ब्रिज बनाया है. ढाई साल पहले इसका निर्माण काराया गया था. 

सासाराम तुतला भवानी के पास हैंगिंग ब्रिज पर उठ रहे सवाल, वन विभाग ने शुरू की जांच

पटना : गुजरात के मोरबी में हैंगिंग ब्रिज के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद देश के अलग-अलग क्षेत्रों में हैंगिंग ब्रिज के रखरखाव को लेकर सवाल खड़े हो गए. सासाराम तुतला भवानी के पास भी एक हैंगिंग ब्रिज है. जहां सालों भर लोग इसका उपयोग करते हैं. वन विभाग ने इसके रख रखाव के भी निर्देश जारी कर दिए है.

लगभग 200 मीटर लंबा है हैंगिंग ब्रिज
स्थानीय निवासी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि रोहतास जिला के तिलौथू के पास स्थित तुतला भवानी जलप्रपात है. यहां स्थित तुतला भवानी मंदिर तक पहुंचने के लिए वन विभाग ने हैंगिंग ब्रिज बनाया है. ढाई साल पहले इसका निर्माण काराया गया था. लगभग 200 मीटर लंबे इस हैंगिंग ब्रिज की खूबसूरती देखने को मिलती है, लेकिन बड़ी बात यह है कि समय-समय पर इसकी मरम्मत की आवश्यकता होती है, जो अमूमन देखने को नहीं मिलता है. स्थानीय लोगों की मानें तो पुल पहले से कहीं अधिक झूलता है. खासकर पर्व-त्यौहार और पर्यटन के समय यहां पर भीड़ बढ़ जाती है. ऐसे में भीड़ बढ़ने पर इसे नियंत्रित करने की व्यवस्था की गई. गुजरात के मोरबी में हुए हादसे के बाद यहां भी लोग अलर्ट पर हैं. स्थानीय लोग चाहते हैं कि समय-समय पर इस झूलता हुआ पुल की मरम्मत होनी चाहिए. अभियंताओं के देखरेख में इसका निरीक्षण होना चाहिए, ताकि मोरबी जैसी कोई हादसा यहां ना हो सके.

झरना की खूबसूरती को दूर दराज से देखने आते है लोग
सासाराम तुतला भवानी में करीब पांच साल पुराना एक खूबसूरत झरना है. इस झरने को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. वन विभाग इसकी देखरेख करते हैं. वन विभाग के अधिकारी लगातार इसको लेकर निर्देश देते रहते हैं. डीएफओ मनीष कुमार वर्मा का कहना है कि समय-समय पर तुतला भवानी के हैंगिंग ब्रिज की देखरेख होती है. उसके पटरे बदले जाते हैं. साथ ही विभिन्न नटो को टाइट भी किया जाता रहता है. ताकि कहीं से कोई दुर्घटना न हो. वैसे भी यह ब्रिज नई है और संबंधित कंपनी खुद इसकी देखरेख करते हैं. साथ ही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भी ब्रिज के पहले गेट लगाया गया हैं, ताकि ज्यादा लोगों को एक साथ पुल पर नहीं चढ़ने दिया जाए.

इनपुट- अमरजीत कुमार यादव

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