जीतनराम मांझी 28 फरवरी को पटना में दलित समागम का आयोजन करेंगे, जिसमें लाखों लोगों के शामिल होने की संभावना है. इसका उद्देश्य आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में दलित वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करना है.
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28 फरवरी को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी दलित समागम का आयोजन करने जा रहे हैं. इस कार्यक्रम में राज्य के कोने-कोने से लाखों लोगों के आने की संभावना जताई जा रही है. मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने इस भव्य आयोजन की तैयारी शुरू कर दी है. मांझी की नजर आगामी विधानसभा चुनाव में दलित वोट बैंक पर है, और इस आयोजन के माध्यम से अपनी ताकत दिखाने का प्रयास किया जा रहा है.
विधानसभा चुनाव में सीटों पर मांझी की दावेदारी
जीतनराम मांझी ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए सीटों की दावेदारी स्पष्ट कर दी है. वे कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि झारखंड और दिल्ली चुनावों में उन्हें सीटें नहीं दी गईं, लेकिन बिहार में वे अपनी राजनीतिक ताकत दिखाएंगे. उनका मानना है कि बिहार में उनका जनाधार मजबूत है, जिसे नकारा नहीं जा सकता. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन समेत तमाम नेता इस आयोजन की तैयारी में जुटे हुए हैं.
राजद और कांग्रेस का तंज
राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने इस आयोजन पर तंज कसते हुए कहा कि चाहे जितना भी शक्ति प्रदर्शन कर लिया जाए, भाजपा का समर्थन चिराग पासवान को ही मिलेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा, चिराग पासवान का उपयोग नीतीश कुमार की राजनीति को कमजोर करने के लिए कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. स्नेहाशीष वर्धन पांडेय ने भी कहा कि मांझी का शक्ति प्रदर्शन एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान का नतीजा है. हाल ही में एनडीए नेताओं के साथ हुई बैठक से जिस तरह जीतन राम मांझी को बाहर रखा गया, उसका यह नतीजा है. और इसीलिए वे अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं. मांझी पर हमले हो रहे हैं. इससे साफ है कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. सभी सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ सख्ती दिखा रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण आने वाला कार्यक्रम है.
जेडीयू और भाजपा ने किया समर्थन
जेडीयू प्रवक्ता मनीष यादव ने कहा कि मांझी एनडीए परिवार का हिस्सा हैं और उनका यह कार्यक्रम स्वागत योग्य है. भाजपा प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि दलित और ओबीसी वोट एनडीए के साथ हैं, और मांझी तथा चिराग दोनों मिलकर एनडीए को और मजबूत कर रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे का मानना है कि मांझी का यह कार्यक्रम आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है. उन्होंने चिराग पासवान और मांझी के बीच पिछले विवादों की भी चर्चा की. राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडेय ने कहा कि वे बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. आज वे एनडीए के नेता और केंद्रीय मंत्री हैं. चुनाव से पहले ऐसा कार्यक्रम होगा, इसलिए वे ऐसा कार्यक्रम कर रहे हैं. हर पार्टी के नेता ऐसा करते हैं. चिराग युवा नेता हैं. एक मुद्दा है जिस पर दोनों एक दूसरे से भिड़ गए थे जब सुप्रीम कोर्ट ने कोटा को कोर्ट में लाया था. चिराग इसके खिलाफ थे और विपक्ष के भारत बंद के समर्थन में थे. जीतन राम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट का समर्थन किया था. चिराग उपचुनाव में जीतन राम मांझी की सीट पर प्रचार करने नहीं गए थे. लेकिन अंत में नीतीश कुमार को वोट मांगना ही है. उन्हें अपने समर्थकों को जिताना है, चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन अंत में वे एनडीए के पक्ष में वोट मांगेंगे. यह किसी के लिए नहीं है, यह उनके अपने वोट बैंक के लिए है.
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