Shannivaar Upay: क्या हैं शनिवार व्रत के नियम, इस व्रत को करने से किस प्रकार की समस्याओं से मिलती है मुक्ति
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Shannivaar Upay: क्या हैं शनिवार व्रत के नियम, इस व्रत को करने से किस प्रकार की समस्याओं से मिलती है मुक्ति

Shanivaar Upay: शनि देव की पूजा के बाद पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें. व्रत के दिन एक गरीब को भोजन कराएं और उसे दान देकर विदा करें. शाम के समय व्रत का पारण करें. इसे काली उड़द की दाल और खिचड़ी से कर सकते हैं. इसी तरह आपको 7 सप्ताह तक शनि देव की पूजा करनी चाहिए, हर शनिवार के लिए व्रत करके.

Shannivaar Upay: क्या हैं शनिवार व्रत के नियम, इस व्रत को करने से किस प्रकार की समस्याओं से मिलती है मुक्ति

Shanivaar Upay: शनिवार का दिन शनि पूजा के लिए विशेष माना जाता है और इस दिन को व्रत करके शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है. यह व्रत कई लोगों के लिए मुख्य रूप से शनि ग्रह के दुष्ट प्रभावों से बचाव का एक साधना है. शनिवार के व्रत का पालन करने से शनि देव के क्रूर प्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आ सकती है.

शनिवार के व्रत के नियम इस प्रकार हैं (Kaise Karen Shanivaar Ka Vrat)
सुबह उठकर स्नान करें और स्नान के लिए कुएं का जल या नदी का जल प्राथमिकता दें. सुबह को पीपल के पेड़ के नीचे जाकर जल चढ़ाएं. अपने घर के मंदिर में शनि देव की लोहे की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं. शनि देव को काले तिल, फूल, धूप, काले रंग का वस्त्र और तेल के साथ पूजा करें. पूजा के बाद शनि देव के मंत्रों का उच्चारण करें. शनि देव की पूजा के बाद पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें. व्रत के दिन एक गरीब को भोजन कराएं और उसे दान देकर विदा करें. शाम के समय व्रत का पारण करें. इसे काली उड़द की दाल और खिचड़ी से कर सकते हैं. इसी तरह आपको 7 सप्ताह तक शनि देव की पूजा करनी चाहिए, हर शनिवार के लिए व्रत करके.

यह व्रत आपके जीवन में सुख, समृद्धि और समस्याओं से मुक्ति प्रदान कर सकता है. खासकर जब आपकी राशि पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती का प्रभाव हो. शनिवार के व्रत के द्वारा आप शनि देव की आराधना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं. जिससे आपके जीवन के कई परिस्थितियों का समाधान हो सकता है. इसके अलावा शनि दोष से बचने के लिए भी यह व्रत महत्वपूर्ण हो सकता है.

Disclaimer: बता दें कि यहां दी गई जानकारी सिर्फ सामान्य है और आपको इसे अपने आध्यात्मिक गुरु या पंडित से पुष्टि करनी चाहिए. यह व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक आदर्शों का हिस्सा है और इसे सही ढंग से पालन करने से आपको मानसिक और आध्यात्मिक सुख मिल सकता है.

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