Gandey Assembly Seat: गांडेय में इस बार है कांटे की टक्कर, देखें इस सीट के चुनावी मुद्दे
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Gandey Assembly Seat: गांडेय में इस बार है कांटे की टक्कर, देखें इस सीट के चुनावी मुद्दे

Gandey Assembly Seat: गांडेय विधानसभा सीट पर कई राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा चल रही है. झामुमो ने पिछले चुनाव में जीतने वाले उम्मीदवार को फिर से चुनाव में उतारने का फैसला किया है, जबकि भाजपा नए चेहरे पर विचार कर रही है.

Gandey Assembly Seat: गांडेय में इस बार है कांटे की टक्कर, देखें इस सीट के चुनावी मुद्दे

Gandey Assembly Seat: गांडेय विधानसभा सीट झारखंड राज्य की एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और यहां के चुनावी समीकरण हमेशा दिलचस्प रहे हैं. गांडेय विधानसभा क्षेत्र की पहचान अपनी विविधता और राजनीतिक गतिविधियों के लिए होती है. इस क्षेत्र की राजनीति में आमतौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस का प्रभाव रहा है.

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार पिछले चुनावों में गांडेय विधानसभा सीट पर अक्सर कांटे की टक्कर देखने को मिली है. यहां के मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार को चुनने में बहुत सावधानी बरतते हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के उम्मीदवार ने भाजपा के प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी और जीत हासिल की थी. अब आगामी 2024 के विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख दल अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही मतदाता आदिवासी समुदाय से आते हैं और उनकी प्राथमिकताएं भी विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित होती हैं. इस बार चुनावी मुद्दे जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास पर ज्यादा चर्चा होने की संभावना है. राजनीतिक दल अपने-अपने चुनावी प्रचार में इन मुद्दों को उठाकर वोटरों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करेंगे.

इसके अलावा गांडेय विधानसभा सीट पर विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की चर्चा हो रही है. झामुमो ने पिछले चुनाव के विजेता को फिर से मैदान में उतारने की योजना बनाई है, जबकि भाजपा ने नए चेहरे पर विचार कर रही है. कांग्रेस भी अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए तैयारियों में जुटी है. इन सबके बीच निर्दलीय उम्मीदवारों की भी चर्चा हो रही है, जो स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही राजनीति में होने वाले बदलाव और चुनावी नतीजे इस बात का संकेत देंगे कि भविष्य में कौन सी पार्टी यहां अपना वर्चस्व बनाए रखती है. चुनावी माहौल में सभी दलों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने से यह तय करना कठिन हो जाएगा कि कौन सा दल विजयी होगा.

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