Amit Shah Live: अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान जवाब देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'संविधान लहराने का मुद्दा नहीं, विश्वास का विषय है'.
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Amit Shah replies on Constitution debate: राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए अबतक हुए संविधान संशोधनों का हवाला देते हुए विपक्ष को बुरी तरह धो डाला. अमित शाह ने कहा, 'कांग्रेस ने 55 साल 78 बार संविधान संशोधन किया, वो अपने एक परिवार की भलाई के लिए किया. शाह ने कांग्रेस पार्टी के चार संविधान संशोधन और बीजेपी के चार संविधान संशोधनों का उदाहरण देकर कांग्रेस के संविधान संशोधन को देश की जनता के अधिकारों का दोहन और लोकतंत्र का गला घोटने वाला कदम करार दिया.
अमित शाह ने कहा, 'संविधान बदलने का प्रावधान अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में ही है. एक नेता आए हैं, 54 साल में खुद को युवा कहते हैं. वो चिल्लाते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे. बीजेपी ने 16 साल में 16 परिवर्तन किए. कांग्रेस ने भी परिवर्तन किए. इनका टेस्ट कैसा था. परिवर्तन का मकसद क्या था? क्या हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए परिवर्तन किए गए या अपनी राज्यसत्ता को टिकाने के लिए परिवर्तन किए गए. इससे ही पार्टी का कैरेक्टर मालूम पड़ता है. दोनों प्रमुख दलों के चार-चार संविधान संशोधन को लेना चाहूंगा. पहला संशोधन हुआ 18 जून 1951 को, ये संविधान सभा को ही संशोधन लेना पड़ा, 19 ए जोड़ा गया. अभिव्यक्ति की आजादी को कर्टेल करने के लिए पहला संशोधन आया. तब पीएम नेहरू थे.'
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अमित शाह ने कहा, '19A - अभिव्यक्ति की आजादी को कर्टेल करने के लिए कांग्रेस ने पहला संविधान संशोधन किया. 24वां संशोधन इंदिरा गांधी ने किया- 5 नवंबर 1971 में संविधान संशोधन करके नागरिक अधिकारों को कर्टेल करने का संसद को अधिकार दे दिया. इसके जरिए उन्होंने नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करने का इंतजाम कर दिया. 39वां संविधान संशोधन- अगस्त 1975 का वो दिन...संविधान के इतिहास में जब भी इसका जिक्र होगा, काले अक्षरों में होगा. इंदिरा गांधी के चुनाव को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमान्य घोषित कर दिया. उनका चुनाव निरस्त कर दिया तो उन्होंने संशोधन करके खुद का बचाव किया. प्रधानमंत्री की न्यायिक जांच पर प्रतिबंध लगा दिया.'
कांग्रेस के चार संशोधन बनाम बीजेपी के चार संशोधन
शाह ने कहा, '16 साल में हमने 22 बदलाव किए. 6 साल अटल बिहारी बाजपेई जी की सरकार के और 10 साल मोदी सरकार के अभी मोदी जी का तीसरा कार्यकाल चल रहा है, पांच साल हम और काम करेंगे तो देश की दशा बदल लेंगे. जनता को उसका हक हम दिलवाएंगे. देश को गुलामी की मानसिकता से आजाद कराने के लिए हमने काम किया और आगे भी करेंगे'.
अमित शाह ने कहा, 'एक संविधान संशोधन हम लेकर आए, GST लाकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक 100 अलग-अलग कानूनों को समाप्त कर जनहित का काम हमने किया. नरेंद्र मोदी ने जीएसटी का विरोध किया था. इसलिए किया था कि आप GST तो लाना चाहते थे लेकिन राज्यों को कंपन्सेशन की गारंटी देना नहीं चाहते थे, लेकिन हमने वो भी किया. हम दूसरा संशोधन लेकर आए OBC आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए किया. तीसरा संशोधन गरीबों के कल्याण के लिए लाए कि जिन जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है, उनको 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देने के लिए किया. पिछड़ी जातियों का पिछड़ापन दूर करने के लिए कोई एक सरकार काम कर रही है तो वो हमारी सरकार कर रही है. मोदी सरकार ने 2021 में संविधान संशोधन कर पिछड़ी जातियों के कल्याण के लिए अच्छे निर्णय लेने का अधिकार राज्यों को देने का काम किया है. हमारा अंतिम संविधान संशोधन था महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम लाने के लिए. जिस दिन इस सदन में 33 फीसदी नारी शक्ति बैठेगी, संविधान निर्माताओं की कल्पना साकार हो जाएगी.'
कांग्रेस ने घोटा संविधान की प्रस्तावना का गला: शाह
शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि1947 से लेकर 2024 तक अगर देश की किसी एक पार्टी ने संविधान को लहराकर झूठ बोलकर चुनाव जीतने की कोशिश का पाप किया तो वो केवल कांग्रेस ने किया. अमित शाह ने कहा, 'अध्यक्ष जी, कांग्रेस के नेताओं ने यहां तक संविधान संशोधन किया कि अगर लोकसभा और राज्यसभा में कोरम नहीं है तो भी काम चला लेंगे. कांग्रेस खुद सबसे बड़ी संविधान विरोधी पार्टी है. इन्होंने संविधान को परिवार की जागीर समझ लिया. आपातकाल में लाखों लोग जेल में डाले गए. कांग्रेस के साथ जो दल के नेता बैठे हैं, उनके लोग भी इमरजेंसी में जेल गए. पता नहीं किसी मजबूरी में उधर बैठे हैं. संविधान संशोधन करके कांग्रेस ने सिर्फ परिवार का नाम बढ़ाया.'
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कांग्रेस नेताओं ने संविधान लहराकर झूठ बोला: शाह
कांग्रेस, आरक्षण विरोधी पार्टी है. फर्जी संविधान लेकर चलने वालों को हर चुनाव में हार मिली है. कांग्रेस के नेताओं ने खुद संविधान में ऐसे ऐसे संशोधन किए कि उनकी नीयत का पता चलता है. अब ये संविधान की किताब लेकर हम पर झूठे आरोप लगा रहे हैं कि हम संविधान बदल देंगे'.
धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे : शाह
शाह ने कहा, 'कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क है. कांग्रेस आरक्षण विरोधी पार्टी है. मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग को सम्मान दिया. उनको हक दिलाया. कांग्रेस आरक्षण के लिए हमेशा झूठ बोलती रही. मैं जनता से कहना चाहता हूं कि दो राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण पर विस्तृत बात हुई, जो फैसला किया गया वो संविधान की उस मूल बात का विरोध है, जिसमें लिखा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं मिलेगा. कांग्रेस मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है. दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी जिन्होंने मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए 50 फीसदी आरक्षण का नियम ताक पर रख दिया. हम साफ-साफ कहना चाहते हैं कि जबतक लोकसभा और राज्यसभा में हमारा (भाजपा) का एक भी सांसद होगा हम धर्म के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था नहीं होने देंगे.'
मोदी सरकार के लिए संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि वंचितों के कल्याण और राष्ट्रनिर्माण की मूल प्रेरणा है। राज्यसभा में संविधान निर्माण के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित चर्चा से लाइव…
https://t.co/B6eK3wj8EH— Amit Shah (@AmitShah) December 17, 2024
कांग्रेस मुस्लिम लॉ की समर्थक
राज्यसभा में शाह ने कहा, 'कांग्रेस ने तुष्टीकरण की शुरुआत की. नेहरू मुस्लिम पर्सनस लॉ लाए. कांग्रेस मुस्लिम लॉ की समर्थक है. कांग्रेस चाहे तो शरिया कानून लागू कर दे.'
विदेशी चश्में से देखने पर संविधान में भारतीयता नहीं दिखेगी: शाह
शाह ने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा, 'आपने पार्टी को तो परिवार की जागीर समझा ही है, संविधान को भी परिवार की जागीर समझ लिया. संविधान के साथ ऐसा अन्याय दुनिया के किसी शासक ने नहीं किया होगा. जब संविधान बन रहा था, हर आर्टिकल पर चर्चा चल रही थी. हम आजाद हो गए थे, हमारा देश कोई नया नहीं बना है. हम दुनिया में सबसे पुराना जीवन लेकर निकले हुए देश हैं. देश आगे कैसे बढ़े, बस इसके लिए एक डॉक्यूमेंट बनाना था. अंग्रेज लिखकर गए थे इंडिया, वो भारत जानते ही नहीं थे. देश आजाद होने पर इस पर चर्चा हुई, सेठ गोविंद दास ने कहा कि नाम भारत होना चाहिए और जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि और पीछे देखने की जरूरत नहीं है, भविष्य की ओर देखने की जरूरत है और इंडिया भी रहा, भारत भी रहा. विदेशी चश्मे यानी इंडिया के नजरिये से देखोगे तो भारत समझ नहीं आएगा. इसीलिए इन्होंने अपने गठबंधन का नाम इंडिया ही रखा.'