Diesel vehicles Ban: हवा में घुलते प्रदूषण को 2070 तक शून्य करने के सरकार के मिशन के तहत डीजल के वाहनों पर बैन लगाया जा सकता है. इसके लिए तेल मंत्रालय की कमीशन की गई रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी गई है.
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Diesel vehicles Ban: हवा में घुलते प्रदूषण को 2070 तक शून्य करने के सरकार के मिशन के तहत डीजल के वाहनों पर बैन लगाया जा सकता है. इसके लिए तेल मंत्रालय की कमीशन की गई रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2027 तक 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में डीजल से चलने वाले फोर व्हिलर यानी चौपहिया वाहनों पर बैन लगा देना चाहिए. डीजल वाहनों की जगह बिजली और गैस से चलने वाले वाहनों पर स्विच करना चाहिए.
पूर्व तेल सचिव तरुण कपूर की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में 2035 तक मोटरसाइकिल, स्कूटर और तिपहिया वाहनों को धीरे-धीरे सड़कों से हटाने का सुझाव भी दिया गया है. इसमें कहा गया है कि आने वाले 10 सालों में शहरी क्षेत्रों में नई डीजल सिटी बसें नहीं जोड़नी चाहिए. बता दें कि पैनल ने केंद्र सरकार को इस साल यह रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट पर सरकार ने अपना रुख अभी तक स्पष्ट नहीं किया है.
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि यात्री कारों और टैक्सियों सहित चौपहिया वाहनों को आंशिक रूप से इलेक्ट्रिक और आंशिक रूप से इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल पर लाना जरूरी है. डीजल से चलने वाले चौपहिया वाहनों को जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए. इसलिए, सभी मिलियन-प्लस शहरों और उच्च प्रदूषण वाले सभी शहरों में डीजल से चलने वाले चौपहिया वाहनों पर प्रतिबंध को पांच साल में, यानी 2027 तक लागू किया जाना है.
अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि डीजल गाड़ियों का क्या होगा? तो इस रिपोर्ट में उसके बारे में सुझाव दिया गया है. इसमें कहा गया है कि डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में कनवर्ट किया जा सकता है. देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को 31 मार्च से आगे फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड व्हीकल्स स्कीम (FAME) के तहत दिए गए प्रोत्साहनों के "लक्षित विस्तार" पर विचार करना चाहिए.
रिपोर्ट ने 2024 से केवल बिजली से चलने वाले शहर वितरण वाहनों के नए पंजीकरण का समर्थन किया और कार्गो की आवाजाही के लिए रेलवे और गैस से चलने वाले ट्रकों के अधिक उपयोग का सुझाव दिया. ये कदम भारत को 2070 तक अपने उत्सर्जन को शुद्ध शून्य तक कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेंगे. शुद्ध शून्य, या कार्बन तटस्थ बनने का मतलब है कि वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि नहीं करना.
चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ के बाद भारत कार्बन डाइऑक्साइड का दुनिया का चौथा सबसे बड़ा उत्सर्जक है. लेकिन इसकी विशाल आबादी का मतलब है कि इसका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अन्य प्रमुख विश्व अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत कम है. भारत ने 2019 में प्रति व्यक्ति 1.9 टन CO2 का उत्सर्जन किया, जबकि उस वर्ष अमेरिका ने 15.5 टन और रूस ने 12.5 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन किया था.
(एजेंसी इनपुट के साथ)