Scindia Dig at Kamal Nath Statement: पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तोप नहीं है...वाली टिप्पणी पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन पर निशाना साधा है.कमलनाथ के बयान पर सिंधिया ने तंज कसा है.
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राहुल मिश्रा/दिल्ली: मध्यप्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly elections 2023) होने वाले हैं.इसलिए राज्य का राजनीतिक पारा बहुत ज्यादा गर्म है. बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर हमलावर हैं. इसी क्रम में आज पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (PCC Chief and former Chief Minister Kamal Nath) ने अपने पूर्व साथी और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) पर निशाना साथते हुए कहा था कि वह कहीं के तोप नहीं है...अब कमलनाथ की इस टिप्पणी पर महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया का रिएक्शन सामने आया है तो चलिए जानते हैं कमलनाथ के इस बयान पर सिंधिया ने किस तरह की प्रतिक्रिया दी है...
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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया ट्वीट
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर ट्वीट करते हुए बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ की 15 महीने की सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा,मध्य प्रदेश कांग्रेस के 15 महीनों की तोप सरकार का रिकार्ड:
1. तबादला उद्योग
2. वादाखिलाफ़ी
3. भ्रष्टाचार
4. माफिया-राज
कमलनाथ जी, अच्छा है आपकी इस “तोप” की परिभाषा में फ़िट नहीं हुआ.
मध्य प्रदेश कोंग्रेस के 15 महीनों की तोप सरकार का रेकार्ड:
1. तबादला उद्योग
2. वादाखिलाफ़ी
3. भ्रष्टाचार
4. माफिया-राज@OfficeOfKNath जी, अच्छा है आपकी इस “तोप” की परिभाषा में फ़िट नहीं हुआ।— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) January 20, 2023
कमलनाथ ने क्या बोला था?
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Former Chief Minister Kamal Nath) अपने एक दिवसीय दौरे पर टीकमगढ़ में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे.इसी दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार के मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया द्वारा कल दिये गये बयान कि कांग्रेसी, भाजपा में शामिल हो जाये अन्यथा 2024 में बुलडोजर तैयार खड़ा है. जिस पर कमलनाथ ने कहा था कि वो याद रखे कि 8 माह बाद क्या होगा, कि बुलडोजर का मुंह किस तरफ होगा. वहीं सिंधिया जी के भाजपा में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि वो कही की तोप नहीं है. अगर सिंधिया थे तो नगरीय चुनावों में ग्वालियर और मुरैना महापौर क्यों हारे?