Sikandar Badusha Dargah: तमिलनाडु के मदुरै में एक पहाड़ी पर मौजूद सिकंदर बादुशा दरगाह में जानवरों की कुर्बानी करने की अनुमति देने को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों जमकर विरोध किया. हालांकि पुलिस ने उन्हें मौके पर जाकर रोक लिया.
Trending Photos
Sikandar Badusha Dargah: मदुरै के नजदीक तिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर तब तनाव बढ़ गया जब पहाड़ी की चोटी पर मौजूद सिकंदर बादुशा दरगाह में बकरों की कुर्बानी देने की अनुमति की मांग को लेकर कई मुस्लिम संगठनों के नेताओं के ज़रिए प्रदर्शन के बाद बड़ी तादाद में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया. कहा जाता है कि तिरुपरनकुंदरम पहाड़ी का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है और यहां भगवान मुरुगन के छह पवित्र निवासों में से एक तिरुपरनकुंदरम मुरुगन मंदिर मौजूद है.
पुलिस के मुताबिक इन संगठनों के प्रतिनिधि अपने समर्थकों के साथ दरगाह में जानवरों की कुर्बानी करने के लिए जाना चाहते थे. पुलिस ने दखल देते हुए समझाया कि उन्हें दरगाह में इबादत करने की इजाज़त दी जाएगी लेकिन जानवरों की कुर्बानी की इजाज़त नहीं होगी. इसकी वजह से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से बातचीत की और आखिर में उस इलाके से से चले गए.
इस महीने की शुरुआत में सिकंदर मस्जिद समिति और ऐय्यकिया कूटामैप्पु जमात के लगभग 100 सदस्यों को मस्जिद के खुलने पर विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश के लिए कुछ समय के लिए हिरासत में लिया गया था. मुस्लिम समूहों का मानना है कि सिकंदर बदूशा थोझुगाई पल्लीवसल का निर्माण सुल्तान सिकंदर ने लगभग 400 वर्ष पहले कराया था.
दावा यह भी है कि सिकंदर बादुशा को लेकर कहा जाता है कि वो जेद्दा के गवर्नर थे. सुल्तान सैयद इब्राहिम शहीद बदुशाह के साथ आए थे यहां आए थे, जो 14वीं शताब्दी के अंत में मदीना से खास तौर पर एरवाडी तमिलनाडु आए थे. एरवाडी के बादुशा सुल्तान सैयद इब्राहिम शहीद लैब्स ने मदुरै प्रांत जीता और सुल्तान सिकंदर बधुशा मदुरै के शासक गवर्नर थे.
सुल्तान सिकंदर बादुशाह का वार्षिक उर्स उत्सव हर हिजरी वर्ष में इस्लामी महीने रजब की 17वीं रात को मनाया जाता है. इस दिन पहाड़ी की चोटी पर मौजूद दरगाह पर हजारों लोग आते हैं. तीर्थयात्रियों के सुख सविधाओं के लिए दरगाह समिति और स्थानीय पुलिस की तरफ से खास व्यवस्था की जाती है.