Monsoon rain update: इस बार फरवरी मार्च में गेहूं की फसल पकने के समय पर आम तापमान से ज्यादा होने के कारण गेहूं की पैदावार में कमी आई थी. वहीं इस बार चावल की फसल पर संकट गहरा सकता है.
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Rice production of India: देश के बड़े हिस्सों में मानसून की बारिश (Monsoon Rain) जमकर हो रही है. लेकिन देश के बड़े हिस्सों में अब तक हुई बारिश में 20 से 49 फीसदी तक कमी दर्ज की गई है. इन राज्यों में देश का करीब 35 फीसदी चावल उपजता है. ऐसे में बारिश की कमी से देश का चावल उत्पादन में कमी आने की आशंका जताई जा रही है. आईए जानते है कि इस साल 31 जुलाई तक देश में बादल किस तरह से बरसे हैं?
देशभर में इस बार 8 फीसदी ज्यादा बारिश
इतने बड़े भोगौलिक विविधता से भरे देश में बादलों के बरसने के पैटर्न में भी काफी विविधता रहती है.इस साल भी जुलाई महीने के बीत जाने तक यहीं देखने में आया है. जहां इस वक्त देश में 480 मिमी बारिश हो चुकी है जो कि औसत (445.8 मिमी) से 8 फीसदी ज्यादा है. इसका कारण है कि दक्षिणी भारत और मध्य भारत में क्रमश 28 प्रतिशत और 17 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है.
20 फीसदी हिस्से में सबडिविजन Rain Deficient
31 जुलाई के बीत जाने तक जहां देश में बारिश सरप्लस है. लेकिन अभी भी देश के काफी बड़े हिस्से में बहुत कम बारिश हुई है. मौसम विभाग (IMD) ने देश में बारिश को मापने के लिए 36 सब डिविजन में बांटा है. इनमे से 7 सबडिविजन में औसत से कम बारिश हुई है. आपको बता दें कि जब किसी भी क्षेत्र में बारिश की कमी 20 फीसदी से ज्यादा की कमी होती है तो इसे आधिकारिक रुप से कमी (Deficient) घोषित किया जाता है. इसी तरह चार सबडिविजन में बहुत ज्यादा बारिश हुई है. वहीं 11 सबडिविजन में ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. 14 सबडिविजन में सामान्य बारिश हुई है.
इस बार के मानसून सीजन में तेलंगाना में इस समय तक बादल औसत से दोगुना (94%) ज्यादा बरस चुके हैं. देश के दक्षिणी हिस्से में भी अच्छी बारिश हुई है. लेकिन अभी भी देश के कई हिस्सों में बारिश औसत से 50% तक कम है. कम बारिश वाले राज्यों में झारखंड (49 %), पूर्वी उत्तर प्रदेश (-48 %), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (- 42 %), पश्चिम बंगाल(-47 %) और बिहार (-39 %) शामिल हैं. वहीं इसके अलावा केरल, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा (NMMT) में बारिश में कमी दर्ज की गई है.
चावल की खेती पर पड़ सकता है असर
इस बार फरवरी मार्च में गेहूं की फसल पकने के समय पर आम तापमान से ज्यादा होने के कारण गेहूं की पैदावार में कमी आई थी. वहीं इस बार चावल की फसल पर भी संकट गहरा सकता है. साल 2020-21 में देश में चावल का कुल उत्पादन 122 मिलियन मीट्रिक टन हुआ था. इस साल अब तक जिन राज्यों में बारिश कम हुई हैए उनका देश के कुल चावल उत्पादन में 35 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है. देश का 14 प्रतिशत चावल, पश्चिम बंगाल और 12.7 प्रतिशत उत्तर प्रदेश उगाता है. इसके अलावा बिहार (6.3 %) झारखंड (3 %) की भी अहम हिस्सेदारी है. ऐसे में इन राज्यों में फसल लगाने के समय पर बारिश में कमी से चावल की फसल प्रभावित हो सकती है.
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