Bhilwara News: मांडलगढ़ में विगत दो साल से बजरी खनन की लीज बन्द पड़ी हुई हैं. इसके बावजूद भी बडलियास से लेकर काछोला तक 50 किलो मीटर दायरे की बनास नदी में माफिया राज पनपता जा रहा है.
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Bhilwara News: मांडलगढ़ में विगत दो साल से बजरी खनन की लीज बन्द पड़ी हुई हैं. इसके बावजूद भी बडलियास से लेकर काछोला तक 50 किलो मीटर दायरे की बनास नदी में माफिया राज पनपता जा रहा है. खनन माफिया से जुड़े लोग बनास नदी में बेख़ौफ़ होकर धड़ल्ले से बजरी का अवैध खनन कर रहे हैं.
यहाँ सरकारी और निजी भूमि में सैकड़ों जगह लगे बजरी के स्टॉक से रोजाना रात के अंधेरे में डम्पर,ट्रैलर ओर ट्रैक्टर ट्रॉली में बजरी परिवहन कर कोटा,झालावाड़ ओर मध्यप्रदेश तक ले जाई जा रही हैं, जिससे सरकार को लाखों के राजस्व की चपत लगाई जा रही हैं. वहीं मशीनों से बेतरतीब बजरी का अवैध खनन होने से नदी का स्वरूप बिगड़ने के साथ पर्यावरण नुकसान का भी खतरा बन गया हैं.
खनन माफिया ने बनास नदी का काफी गहराई सीना छलनी कर दिया है. नदी में ग्रेवल सड़के बना डाली हैं, जिससे नदी के आसपास किसानों की जमीन का भूजल स्तर घटने लगा है. बनास नदी में बड़े पैमाने पर बजरी के अवैध खनन पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की जबान कटी हुई नजर आ रही है.
सरकारी सिस्टम राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते लाचार बना हुआ है. मीडिया में खबरें आने पर जिम्मेदार अफसर औपचारिक तौर पर कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेते हैं, जिससे खनन माफिया में पुलिस और प्रशासन का ख़ौफ़ खत्म होता जा रहा हैं. इस अवैध बजरी खनन ओर परिवहन में कई बार गम्भीर हादसे भी हो गए, गांवों की सड़कें टूटने लगी है, कई बार ग्रामीणों ने नारेबाजी कर जिम्मेदारों के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है. लेकिन सब मिलीभगत के खेल के आगे लाचार नजर आ रहे है.