Dungarpur News: आदिवासियों का 'महाकुंभ, हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
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Dungarpur News: आदिवासियों का 'महाकुंभ, हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Aspur, Dungarpur News: डूंगरपुर शहर में बेणेश्वर धाम पर आज माघ पूर्णिमा पर आदिवासियों का महाकुंभ में हजारों की संख्या में भक्त उमड़े, जहां महंत अच्युतानंद महाराज की पालकी यात्रा और शाही स्नान आकर्षण का केंद्र रहा. 

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Aspur, Dungarpur News: राजस्थान के डूंगरपुर शहर से 70 किमी दूर बेणेश्वर धाम पर आज माघ पूर्णिमा पर आदिवासियों का महाकुंभ में हजारों की संख्या में भक्त उमड़े. इस दौरान श्रद्धालुओं ने सोम माही और जाखम के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई. वहीं, दिवंगत परिजनों की अस्थियों का विसर्जन कर देव दर्शन किए. महंत अच्युतानंद महाराज की पालकी यात्रा और शाही स्नान आकर्षण का केंद्र रहा. 

राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत देशभर के कौने-कोने से आये माव भक्तों व श्रद्धालुओ ने त्रिवेणी संगम के नदी घाटों पर पवित्र स्नान किया. नदी में सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिए. शिव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, ब्रम्हाजी मंदिर, वाल्मीकि मंदिरों में दर्शनों के लिए भक्तों की कतारें लग गई.

संत मावजी महाराज ओर निष्कलंक भगवान के जयकारे गूंजने लगे. माघ पूर्णिमा पर बेणेश्वर मेले में मुख्य आकर्षण महंत अच्युतानंद महाराज की पालकी यात्रा रही. साबला श्रीहरि मंदिर से भगवान के जयकारे लगाते हुए पालकी यात्रा रवाना हुई. 

ढोल, तबले ओर वाद्य यंत्रों की थाप पर साद समाज के भक्तों ने संत मावजी महाराज के भजनों का गुणगान किया. 5 किलोमीटर की पालकी यात्रा में हजारों श्रद्धालु जुड़ते गए. पालकी की धाम पर पंहुचते ही जयकारे मेले में आये हजारों भक्त जयकारे लगाते हुए पालकी का स्वागत ओर दर्शन किए. महंत ने श्रीराधा कृष्ण मंदिर में दर्शन किए और भक्तों को आशीर्वाद दिया. 

आबूदर्रा घाट पर शाही स्नान के साक्षी बने हजारों भक्त
महंत की पालकी सोम, माही, जाखम नदियो के त्रिवेणी संगम बेणेश्वर धाम आबूदर्रा घाट पर पंहुची. हजारों माव भक्तों के साथ महंत अच्युतानंद महाराज ने आबूदर्रा घाट पर त्रिवेणी संगम में शाही स्नान किया. हजारों माव भक्त इसके साक्षी बने. महंत ने श्रीफल उछाले, जिसे श्रद्धालुओ ने प्रसाद के रूप में लिया. इस दौरान विधायक शंकर डेचा और पूर्व विधायक गोपीचंद मीणा ने भी आस्था की डुबकी लगाई. 

आबूदर्रा घाट राजा बलि के यज्ञस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. श्रीहरि विष्णु ने इसी घाट पर राजा बलि के सिर पर पैर रखकर पाताल लोक में उतार दिया. इसके बाद से धाम की आस्था और बढ़ गई. मान्यता है कि सालभर में जिन परिवारों मेंलोगों की मौत हुई है, उनकी अस्थियों का त्रिवेणी संगम में विसर्जन किया जाता है.  

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