Chaitra Navratri 2023: पंचक में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, मां दुर्गा की पूजा व कलश स्थापना करनी चाहिए या नहीं?
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Chaitra Navratri 2023: पंचक में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, मां दुर्गा की पूजा व कलश स्थापना करनी चाहिए या नहीं?

Chaitra Navratri 2023: इस साल  चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) की शुरूआत रोग पंचक में हो रही है. ऐसे में  इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए या नहीं. अगर होगी तो किस काल और मुहूर्त में होगी. आइये जानें

Chaitra Navratri 2023: पंचक में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, मां दुर्गा की पूजा व कलश स्थापना करनी चाहिए या नहीं?

Chaitra Navratri 2023: इस साल  चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) की शुरूआत रोग पंचक में हो रही है. ऐसे में  इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए या नहीं. अगर होगी तो किस काल और मुहूर्त में होगी. चैत्र नवरात्रि की शुरूआत चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को की जाती है. इस बार नवरात्रि 22 मार्च को हो रही है. जबकि रविवार, 19 मार्च को पंचक काल लग रहे हैं. रविवार को लगने वाले पंचक को रोग पंचक (Rog Panchak) कहते हैं. नवरात्रि  के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. हालांकि पंचक के दौरान पूजा-पाठ और शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. आइये जानते हैं पंडित आचार्य राहुल वशिष्ठ से नवरात्रि पर कलश स्थापना के बारे में-

सबसे पहले जानते हैं पंचक के बारे में -

ज्योतिषीय शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चार चरण में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है. चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण से पंचक का निमार्ण अथवा उदय होता है. पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र आते हैं. इन्हीं नक्षत्रों के मिलने से 'पंचक' का जन्म होता है.

रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है. इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं. इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है. रोग पंचक में किसी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते है. अपने नाम के अनुसार ये शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ा देने वाला पंचक है. ऐसे में रोग पंचक की अवधि में पांच दिन तक सेहत के प्रति लापरवाही न बरतें, क्योंकि इसके प्रभाव से बीमारियों का खतरा और नई बीमारी को जन्म देता है.  

पंचक में नहीं किये जाते है ये कार्य 

शास्त्रों में निम्नलिखित पांच कार्य ऐसे बताए गए है जिन्हें पंचक काल के दौरान नहीं किया जाना चाहिए. पंचक काल में लकड़ी एकत्र करना या खरीदना नहीं चाहिए. इस दौरान मकान पर छत डलवाने से हानि होती है. पंचक काल में शव जलाना वर्जित है. इस समय पलंग या चारपाई बनवाना और दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करने से नुकसान होता है. इस काल में कोई अनुष्ठान या शुभ कार्य नही ं किये जाते है.

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इस बार नवरात्रि 22 मार्च से प्रारंभ हो रही है और पंचक 19 मार्च से प्रारंभ हो रही हैं यह साल की तीसरी पंचक है जो कि रविवार से प्रारंभ हो रही है और रविवार को प्रारंभ होने के कारण ही इन्हें रोग पंचक कहा जाता है रोग पंचक में शुभ कार्य मांगलिक कार्य करना नहीं चाहिए 22 मार्च से नवरात्रि प्रारंभ हो रही हैं इसलिए नवरात्रि में घट स्थापना करने से पहले घटे में एक हल्दी की गांठ अवश्य डालें. जिससे की घर- परिवार में अनावश्यक रोगों की उत्पत्ति ना हो क्योंकि रोग पंचक में शारीरिक व मानसिक दोनों ही समस्या उत्पन्न हो सकती हैं. 

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 

 घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च 2023 को सुबह 6 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक है.

चैत्र नवरात्रि 2023 की तिथियां व माता के विभिन्न स्वरूप की पूजा

22 मार्च, 2023 बुधवार देवी शैलपुत्री

23 मार्च, 2023 गुरुवार देवी ब्रह्मचारिणी

24 मार्च, 2023 शुक्रवार देवी चंद्रघंटा

25 मार्च, 2023 शनिवार देवी कुष्मांडा

26 मार्च, 2023 रविवार देवी स्कंदमाता

27 मार्च, 2023 सोमवार देवी कात्यायनी

28 मार्च, 2023 मंगलवार देवी कालरात्रि

29 मार्च, 2023 बुधवार देवी महागौरी

30 मार्च, 2023 गुरुवार देवी सिद्धिदात्री

 

 

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