Chanakya Niti : चाणक्य नीति में हर बात का हल है. बस जरुरत है कि सही वक्त पर सही फैसला लिया जाए. कभी-कभी आप पूरी मेहनत से काम करते हैं, लेकिन आपको सफलता हाथ नहीं आती. तमाम अच्छाई होने के बाद भी लोग उस पर ध्यान नहीं देते. ऐसे में चाणक्य नीति से आप सीख सकते है कि कैसे दुनिया को गुलाम बनाया जाए.
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Chanakya Niti : कहते हैं एक गांव में एक सांप था. जिससे सब डरते थे. सांप कई लोगों का शिकार कर चुका था. एक दिन उस सांप ने एक बच्चे पर हमला कर दिया. तभी रास्ते से गुजर रहे एक साधु ने सांप को श्राप दिया और कहा कि अगर किसी को भी डसा तो तुम मर जाओगे. सांप ने बच्चे को डर के मारे छोड़ दिया.
कुछ दिन बाद साधु उसी रास्ते से गुजर रहा था, तो साधु ने देखा कि सांप से बच्चे खेल रहे हैं और उसे पत्थर मार रहे है. सांप बेचारा खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहा था. साधु ने सांप से पूछा तो सांप ने श्राप का डर बताया. साधु ने कहा कि मैंने काटने के लिए मना किया था, पर तुमने तो फन दिखाना भी छोड़ दिया. इस काल्पनिक कहानी से सीख ये मिलती है कि, आप चाहे, सांप जैसे जहरीले ना हो फिर भी सामने वाले में ये डर होना चाहिए कि आप डस सकते हैं. तभी वो आपसे डर के रहेंगे.
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हमेशा ये जताओं की आपके साथ बुरा किया तो बुरा होगा. सिंकदर को धूल चटाने वाले चंद्रगुप्त मौर्य के गुरू, आचार्य चाणक्य के मुताबिक कभी भी अपनी हैसियत के नीचे के लोगों से दोस्ती ना करें, क्योंकि बुरा वक्त आने पर ये लोग साथ नहीं दे पाएंगे और आपकी मनोदशा को खराब कर देंगे. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर आपको अपनी हैसियत के नीचे के लोगों से दोस्ती करनी भी हो, तो तभी करें जब आपका स्वार्थ सिद्ध हो रहा हो, क्योंकि वास्तविक जीवन की सच्चाई ये ही हैं.
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अपने से ज्यादा हैसियत वाले लोगों से भी दोस्ती ना करें, ऐसा करने पर आप पूरा वक्त उनके बराबर दिखने की कोशिश में निकाल देंगे और वक्त को बर्बाद करेंगे. ऐसे लोग भी जरूरत पर काम नहीं आते. ये लोग भी स्वार्थ के लिए ही आपके साथ जुड़े होते हैं.
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मूर्खों से बहस ना करें और अगर करनी भी पड़े तो बहस के दौरान बस हां कर दें. बहस से जीत या हार में से कोई एक परिणाम सामने आयेगा. अगर आप जीत भी गये तो हासिल कुछ नहीं होगा, लेकिन मूर्ख खुद को अपमानित महसूस करेगा और दुश्मन बन जाएगा. अगर आप ध्यान दें तो, आपके बोलने की वजह से ही आपकी जिंदगी में 70-80 फीसदी परेशानी आती है. तो बेकार की बहस और बेकार की बातें बोलने से बचें.
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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कोई दोस्त नहीं होता, सिर्फ स्वार्थ के चलते दो लोग साथ रहते है और दोस्ती करते हैं. इसलिये अपने सीक्रेट किसी को ना बताएं. दोस्ती अगर दुश्मनी में बदली तो आपके बताये सीक्रेट ही आपको नुकसान पहुंचाएंगे और दोस्त बने दुश्मन के सामने आप नत मस्तक हो जाएंगे.
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