Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने पाकिस्तान में जासूसी के दौरान पकड़े गए रॉ एजेंट को रिहाई के बाद पेंशन और अन्य सेवा का परिलाभ नहीं देने पर कैबिनेट सचिव, गृह मंत्रालय और राज्य के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश कुतुबुद्दीन खिलजी की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी और अधिवक्ता तरुण चौधरी ने बताया कि याचिकाकर्ता साल 1971 में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग में कांस्टेबल नियुक्त हुआ था. उसे पाकिस्तान में जाकर जासूसी करने की जिम्मेदारी दी गई थी. इस दौरान वर्ष 1973 में पाकिस्तान पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और वह दोनों देशों के बीच हुए शिमला समझौते के तहत वर्ष 1978 में वह रिहा हुआ. वहीं भारत लौटने पर उसे जालंधर जेल में रखा गया.
याचिकाकर्ता की पत्नी की ओर से तत्कालीन पीएम चौधरी चरण सिंह और राष्ट्रपति को गुहार करने पर उसे जालंधर जेल से रिहा किया गया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने अपने सेवा परिलाभ व पेंशन के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय सहित अन्य संबंधित अधिकारियों व राज्य सरकार को कई बार लिखित प्रार्थना पत्र पेश किए, लेकिन उसे आज तक सेवा परिलाभ का भुगतान नहीं किया गया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता अब 75 साल का हो चुका है.
ऐसे में उसे समस्त सेवा परिलाभ, पेंशन और एक मुश्त राशि दी जाए, ताकि वह अपना जीवन यापन कर सके. इसके अलावा उसके बेटे को अनुकंपा नियुक्ति भी दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.