अदालत ने कहा कि लोन चुकाने के बाद एनओसी केवल इस आधार पर नहीं रोक सकते कि वह किसी अन्य पक्षकार के लोन में गारंटर था और वह डिफॉल्टर हो गया है.
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Jaipur: जिले की स्थाई लोक अदालत ने वर्ष 2015 में ही पूरा लोन चुकाने के बाद भी प्रार्थी को 7 साल तक लोन की एनओसी नहीं देने को गंभीर सेवादोष माना है. इसके साथ ही अदालत ने एचडीएफसी बैंक लिमिटेड पर 72 हजार रुपए हर्जाना लगाते हुए निर्देश दिए हैं कि वह प्रार्थी के दोनों लोन की एनओसी सात दिन में अदालत में पेश करे. स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष हरविन्दर सिंह व सदस्य दीपक चाचान ने यह आदेश शाहपुरा निवासी कैलाश चन्द के प्रार्थना पत्र पर दिए.
अदालत ने कहा कि लोन चुकाने के बाद एनओसी केवल इस आधार पर नहीं रोक सकते कि वह किसी अन्य पक्षकार के लोन में गारंटर था और वह डिफॉल्टर हो गया है. पूरा लोन चुकाने के बाद उसे एनओसी जारी नहीं करना गंभीर है. हांलाकि अदालत ने स्पष्ट किया कि बैंक किसी अन्य पक्षकार के साथ हुए एग्रीमेंट के अनुसार अलग से कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.
मामले के अनुसार, प्रार्थी ने विपक्षी बैंक से 17.30 लाख और तीन लाख रुपए के दो लोन लिए थे. उसने दोनों लोन की पूरी राशि बैंक को 15 अक्टूबर 2015 तक भुगतान कर दी, लेकिन बैंक ने उसे लोन की एनओसी जारी नहीं की. प्रार्थी ने जब एनओसी जारी नहीं करने का कारण पूछा तो बैंक ने कहा कि वह मुकेश कुमार जाट के वाणिज्यिक लोन में गारंटर है और मुकेश पर 32.88 लाख रुपए से ज्यादा लोन बकाया है.
ऐसे में लोन एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार वह लोन राशि को प्रार्थी से वसूलने के अधिकारी हैं. ऐसे में गारंटी दिए गए लोन की वसूली नहीं होने के कारण ही प्रार्थी के दोनों लोन की एनओसी रोकी गई है. इसे चुनोती देने पर अदालत ने बैंक की इस कार्रवाई को गलत करार देते हुए उसे एनओसी जारी करने का निर्देश दिया और उस पर 72 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया.
Reporter- Mahesh Pareek
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