Rajasthan News: राजस्थान की विधानसभा के सदस्य और सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा की मौत के बाद एक बार फिर से विधानसभा की बिल्डिंग पर अपशकुनी साया होने की चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि कोई दुर्योग इस विधानसभा से जुड़ा है.
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Rajasthan News: राजस्थान की विधानसभा के सदस्य और सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा की मौत के बाद एक बार फिर से विधानसभा की बिल्डिंग पर अपशकुनी साया होने की चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि कोई दुर्योग इस विधानसभा से जुड़ा है. जो इसमें विधायकों का सदन शिफ्ट होने के बाद से ही गिने-चुने मौके ऐसे होंगे.
जब इसमें 200 सदस्य बैठ सके हैं. साल 2000 में विधानसभा में आने के बाद से तकरीबन हर कार्यकाल के दौरान ऐसा हुआ जब या तो किसी सदस्य ने इस्तीफा दे दिया या किसी विधायक की मृत्यु हो गई. साल 2000 से अब तक विधानसभा के सदस्य या उसमें आने के आकांक्षी रहे. तकरीबन डेढ़ दर्जन नेता अपनी जान गंवा चुके हैं.
पूर्व सरकारी मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर कहते हैं कि बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार में वे सचेतक रहे हैं. उस समय भी दो सौ विधायक होने के बाद भी कमी हो ही जाती थी. चाहे वो किसी के निधन के कारण हो, चाहे इस्तीफा देने के कारण या फिर किसी की अयोग्यता के कारण हो. कालूलाल गुर्जर कहते हैं कि नाथद्वारा के तत्कालीन विधायक कल्याण सिंह के निधन के बाद भी इस पर चर्चा हुई थी, कि क्या कारण है जो 200 विधायक नहीं बैठ पा रहे हैं.
गुर्जर कहते हैं कि विधानसभा के पास ही श्मसान है, इस जमीन पर भी कुछ लोगों की कब्र और समाधि रही है. कालूलाल ने बताया कि वास्तु मामलों के एक जानकार ने वास्तु में खामी बताते हुए इसे ठीक करने का दावा किया था, लेकिन तब अध्यक्ष रहे कैलाश मेघवाल ने इसमें कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई.
उधर नागौर से विधायक रहे हबीबुर्रहमान अशरफी का कहना है कि विधानसभा बनने से पहले यहां कई मजारें और श्मशान था. कई किसानों की जमीन भी थी, लेकिन उनको वहां से हटाकर वहां पर विधानसभा का भवन निर्माण करवाया. जब विधानसभा का भवन निर्माण कार्य चल रहा था. इसी दौरान निर्माण के दौरान हादसों में तीन-चार मजदूरों की मौत हो गई. इसके बाद कई बार ऐसे हादसे विधानसभा में हुए हैं.
हबीबुर्रहमान कहते हैं कि विधानसभा बनने के बाद एक साथ पूरे दो सौ विधायक उपस्थित नहीं रहे ना ही विधानसभा की किसी बैठक में पूरे दो सौ विधायक मौजूद रहे. ऐसे में किसानों को आज तक उनकी जमीन का मुआवजा नहीं मिला है. उन किसानों की बद्दुआ और जिन मजारों और श्मशान की जगह विधानसभा भवन बना है. ये भी कारण हो सकता है कि यहां आज तक पूरे दो सौ विधायक उपस्थित नहीं रहे.
उधर वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुन्दर शर्मा का कहना है कि इस विधानसभा में पहले भी वास्तु सुधारने के लिए उपचार हुए हैं. एक बार वास्तु के जानकार को बुलाया गया और तत्कालीन मंत्रियों के साथ ही अन्य सदस्य भी मौजूद रहे. श्याम शर्मा कहते हैं कि वास्तु दोष चर्चा का विषय हो सकता है, लेकिन इसे सुधारने की कोशिशों के बाद भी विधायकों का जाना रुका नहीं है.
उधर इस वास्तु दोष और आत्मा दोष की चर्चा पर विधायक बालमुकुंद आचार्य कहते हैं कि सदन में कई बार इस बात को लेकर चर्चा तो होती है, लेकिन क्या है और क्या नहीं, इसे दिखवाएंगें, वे कहते हैं कि हवन-अनुष्ठान कराया जाए तो इसमें रही खामियों का समाधान हो सकता है. विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि वे इस बारे में सरकार से बात भी करेंगे.