Rajasthan News: सम्मेद शिखर के लिए जयपुर में चार दिन में दो मुनियों ने त्यागे प्राण
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Rajasthan News: सम्मेद शिखर के लिए जयपुर में चार दिन में दो मुनियों ने त्यागे प्राण

तीर्थ के अस्तित्व को बचाने के लिए एक ओर 74 वर्षीय मुनि समर्थ सागर का भी सांगानेर स्थित संघीजी मंदिर में  सल्लेखना समाधिमरण हो गया. इस बीच पूरे जैन समाज ने मुनि के इस त्याग को नमन किया.

Rajasthan News: सम्मेद शिखर के लिए जयपुर में चार दिन में दो मुनियों ने त्यागे प्राण

Jaipur News: जैन 20 तीर्थंकरों की मोक्षस्थली वाले विख्यात जैन शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखर को पवित्र तीर्थ घोषित करने की मांग को लेकर देशभर में सकल जैन समाज एकजुट है. तीर्थ के अस्तित्व को बचाने के लिए एक ओर 74 वर्षीय मुनि समर्थ सागर का भी सांगानेर स्थित संघीजी मंदिर में  सल्लेखना समाधिमरण हो गया. आचार्य सुनील सागर के संघस्थ मुनि सुज्ञेय सागर भी बीते नौ दिन से उपवास पर थे, उनका भी समाधिमरण चार दिन पहले यही मंदिर में हुआ था. इस बीच पूरे जैन समाज ने मुनि के इस त्याग को नमन किया.

 मुनि चार दिन से उपवास पर थे. इससे पहले गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं लेकिन इससे समाजजन पूरी तरह से सहमत नहीं है. शुक्रवार सुबह जैसे ही मुनि के देह छोड़ने की जानकारी मिली, बड़ी संख्या में जैन समुदाय के लोग मंदिर पहुंचने लगे. डोल यात्रा संघीजी मंदिर से जैन नसियां रोड वीरोदय नगर तक निकाली गई. इसके बाद विधिविधान से आचार्य के सान्निध्य में अंत्येष्टि हुई. समाजजजनों ने कहा कि केंद्र सरकार ने ना 2 अगस्त 2019 का गजट नोटिफिकेशन रद्द किया और ना ही पर्यटक शब्द हटा तीर्थ स्थलस्थल की घोषणा की.

 इसके अलावा जो इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था केवल उस पर रोक लगाई है जबकि उसे रद्द करना था. मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो जैन समाज मुनिराजों के मार्गों पर चलकर अपने देह त्यागने से पीछे बिल्कुल भी नहीं हटेगा. इधर आचार्य शशांक सागर ने कहा कि जब तक झारखंड सरकार सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित नहीं करेगी, तब तक मुनि ऐसे ही बलिदान देते रहेंगे. दो मुनियों ने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया है.

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यहां आकर जैन समाज को समर्थन दें. उन्हें जैन समाज के लिए भी बोर्ड बनाना चाहिए, ताकि समाज की बात सरकार तक पहुंचाई जा सके. इधर संघीजी मंदिर में आचार्य सुनील सागर के संघस्थ तीन से चार मुनियों का 48 घंटे में एक बार ही आहार ले रहे हैं. आचार्य सुनील सागर जी ने कहा की जयपुर की धरां से दो मुनियों ने तीर्थ रक्षा के लिए संकल्पित रहे, यह गर्व की बात है. दस जनवरी तक फैसले के विस्तृत दिशानिर्देशों का लिखित में इंतजार है.झारखंड सरकार की ओर से लिखित फैसला नहीं आएगा तो आंदोलन जारी रहेगा.

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