विधायक संदीप शर्मा ने प्रदेश में साइबर क्राइम के दर्ज प्रकरणों, पेश हुए चालानों और एफआर सहित ऐसे क्राइम पर नियंत्रण पाने के सरकारी प्रयासों के बारे में जानना चाहा. विधायक संदीप शर्मा ने प्रदेश में साइबर क्राइम के दर्ज प्रकरणों, पेश हुए चालानों और एफआर सहित ऐसे क्राइम पर नियंत्रण पाने के सरकारी प्रयासों के बारे में जानना चाहा.
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Rajasthan Budget session 2023: राजस्थान के विधानसभा बजट सत्र में आज का भी दिन हंगामे भरा रहा. विपक्ष लगातार गहलोत सरकार को घेरने में जुटा है. राजस्थान विधानसभा बजट सत्र में आज की कार्यवाही सुबह 11 बजे प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई. गृह विभाग से जुड़े पहले ही सवाल पर भाजपा ने सरकार को घेरना चाहा. विधायक संदीप शर्मा ने प्रदेश में साइबर क्राइम के दर्ज प्रकरणों, पेश हुए चालानों और एफआर सहित ऐसे क्राइम पर नियंत्रण पाने के सरकारी प्रयासों के बारे में जानना चाहा. इस मसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जगह कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल ने दिया. इधर धारीवाल के जवाब से पूर्व गृह मंत्री व नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया असंतुष्ट दिखे. मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल में जमकर बहस हुई.
प्रदेश में ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर क्राइम के मामले को लेकर जमकर बहस हुई. कटारिया ने कहा कि पिछले 3 वर्षों के दौरान महज 1 फीसदी मामले में ही चालान पेश हुए. यह सरकार की असफलता है या नहीं. जिसके पर धारीवाल ने भी प्रतिक्रिया दी.
प्रदेश में विगत तीन वर्षों में ऑनलाइन धोखाधड़ी के 2427 तथा साइबर अपराध के 4405 प्रकरण दर्ज हुए हैं. इस अवधि में पुलिस ने ऑनलाइन धोखाधड़ी के दर्ज प्रकरणों में 260 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. साथ ही 235 मामलों में चालान एवं 1841 प्रकरणों में एफआर पेश की गई. साइबर अपराध के दर्ज प्रकरणों में 1474 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है एवं 1443 प्रकरणों में चालान एवं 2278 प्रकरणों में एफआर प्रस्तुत की गई है. विधानसभा में मंगलवार को साइबर क्राइम और ऑनलाइन ठगी से जुड़े मामलों के निपटान पर उठे इन सवालों का संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब दिया, जिस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने नराजगी जताई. उन्होंने कहा कि अगर सारे काम करने के बाद भी सिर्फ एक फीसदी मामलों में ही चालान की कार्रवाई हुई है तो क्या आप इसे सफलता मानते हैं या फिर असफलता.
शांति धारीवाल के जवाब पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी प्रश्न पूछा. अपने सवाल में कहा, ऑनलाइन धोखाधड़ी के 2427 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से केवल 253 मामलों में चालान पेश किए गए है. यह आंकड़ा लगभग 1 फ़ीसदी के आसपास ठहरता है. कटारिया ने पूछा, कि इसे आप विभाग की सफलता मानते हैं या असफलता? साथ ही कटारिया ने ऑनलाइन और साइबर ठगी के मामले में ठगी गई रकम को लेकर भी सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि कितनी रकम ठगी गई और उसमें से पुलिस कितनी वापस बरामद कर सकी?
वहीं, कटारिया के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री धारीवाल ने कहा कि 2014 से 2018 तक भी यही हाल था और उस समय राज्य में आपकी सरकार थी, ऐसे में इसमें ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है. विभाग लगातार काम कर रहा है. अपराधी पकड़े जा रहे हैं और एफआर भी लगाई जा रही है.
इस पर मंत्री शांति धारीवाल बोले, चालान का आंकड़ा चाहे एक परसेंट हो, दो हो या 18 परसेंट हो. यह लंबे समय से चला आ रहा है. इसमें कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है.धारीवाल बोले, कितना पैसा वसूल किया यह सवाल नहीं था. अगर यह सवाल होता तो, इसका भी जवाब दे देता.
मंत्री धारीवाल ने कहा कि प्रदेश में ऑनलाइन धोखाधड़ी तथा साइबर क्राइम के दर्ज प्रकरणों में तफ्तीश प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों एवं पुलिस कार्मिकों के द्वारा की जाती है. आवश्यक प्रशिक्षण के बाद ही ऎसे पुलिस कार्मिकों को साइबर थानों में पदस्थपित किया जाता है.
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धारीवाल गृह विभाग की ओर से प्रश्नकाल के दौरान विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में साइबर अपराधों के प्रभावी अनुसंधान के लिए 32 साइबर थाने खोलने की घोषणा की गई थी. इनमें से 18 थाने स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें 135 प्रशिक्षित अधिकारियों-कर्मचारियों का पदस्थापन किया जा चुका है. शेष थानों की स्थापना प्रक्रियाधीन है. जैसे-जैसे भूमि की उपलब्धता होगी,सभी थाने खोल दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकरण में एफआर लगाने के पीछे अदम पता माल मुलजिम, अदम वकू झूठ, तथ्य की भूल तथा प्रकरण के सिविल प्रकृति के होने सहित अन्य कई कारण होते हैं, जिसके आधार पर ही अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है.
इससे पहले विधायक संदीप शर्मा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में धारीवाल ने इन प्रकरणों का जिलेवार संख्यात्मक विवरण तथा साइबर अपराधों को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का विवरण सदन के पटल पर रखा. उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन यूनिट का गठन करने के बाद विभाग ने जागरूकता अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप ही साइबर अपराधों के पंजीयन में वृद्धि हुई है.