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Jaipur: विश्व बाघ दिवस पर जयपुर टाइगर फेस्टिवल द्वारा विश्व स्तरीय टाइगर फोटो एग्जिबिशन का आयोजन किया गया है. बाघों से लेकर जंगल अवेयरनेस और हैबीटॉट को बेहतर बनाने के लिए एग्जीबिशन को लगाया गया है. तीन दिन (31 जुलाई) तक चलने वाली एग्जीबिशन में बाघों की फोटो प्रदर्शनी लगाई गई है. एक्सपर्ट का कहना है ऐसे आयोजन देश में बाघों के प्रति अवेयरनेस के साथ-साथ बाघों और इंसानों के बीच होने वाले संघर्ष की घटनाओं को रोकने में मददगार होगा.
बाघ, वन्यजीव, जंगल, मानव, पर्यावरण, पानी, हवा, आदि एक चक्र है एवं किसी भी एक चक्र को नुकसान होता है तो मनुष्य के लिए हानिकारक होता है, जिसके दूरगामी विपरीत परिणाम आमजन को भुगतने पड़ेंगे. इसके लिए हमें बाघ, वन्यजीव एवं वनों को संरक्षित करना होगा. बाघ जंगल का राजा है एवं यह प्राणी पूरे इकोलॉजिकल बैलेंस को मेंटेन करता है. हमें जंगल में जाने के तौर तरीके सीखने होंगे. जंगल बाघ का घर है. बाघ, जंगल, पर्यावरण और मानव के मध्य एक सर्किल बना हुआ है जो कि नहीं चाहिए.
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सरकार के साथ-साथ लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत
जंगल है तो पर्यावरण और पर्यावरण है तो मानव है. टाइगर जो भारत का राष्ट्रीय पशु है की संख्या हमारे देश में जहां लाखों में थी अब इनकी संख्या घटकर महज हजारों में रह गई है. आज देश में टाइगर की जो स्थिति है, उसे देखकर सरकारों के साथ-साथ आमजन को भी जागरूक होने की जरूरत है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह राष्ट्रीय पशु लुप्त प्राय हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि जंगल में रह रहे लोगों को अपने रहन-सहन में कुछ बदलाव करने होंगे. जंगल को काटना छोड़ना पड़ेगा . धुआं रहित जैव ईंधन और अन्य ईंधन के विकल्प अपनाने होंगे. उन्होंने बताया कि टाइगर अपने टेरिटरी में अपने आप को सुरक्षित महसूस करे, इस प्रकार का वातावरण बनाना होगा.
प्रदर्शनी में बाघों की अठखेलियां लोगों को करेगी रोमांचित
जंगल विशेषज्ञों ने बताया कि ऐसे प्रदर्शनी में बाघों की विभिन्न गतिविधियों से दर्शक रूबरू होंगे. टाइगर जंगल में कैसे रहते हैं, कैसे शिकार करते हैं, मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचाते जब तक कि उन्हें मनुष्य से खतरा नहीं हो, कैसे अपने बच्चों को पालते हैं, बाघों की विभिन्न अठखेलियां दर्शकों को रोमांचक करेगी. यह प्रयास केवल और केवल आमजनों में हमारे राष्ट्रीय पशु बाघ के बारे में जागृति लाना ही उद्देश्य है.
सरकार के साथ-साथ निजी संस्थाओं को भी बाघ बचाने के लिए आगे आना होगा. जिससे देश में बाघों की संख्या बढ़े और प्रकृति का संतुलन बना रहे जितने अधिक बाघ होंगे उतना अधिक जंगल होगा और जितने अधिक जंगल होंगे उतना ही वातावरण शुद्ध रहेगा.
Reporter- Anoop Sharma
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