ज़ी मीडिया की खबर के बाद मनरेगा में आंकड़ों की हेराफेरी, रातों-रात 8 लाख श्रमिकों को दिया रोजगार
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ज़ी मीडिया की खबर के बाद मनरेगा में आंकड़ों की हेराफेरी, रातों-रात 8 लाख श्रमिकों को दिया रोजगार

मनरेगा की वेबसाइट के मुताबिक, 1 जून को करीब 15 लाख मजदूरों को रोजगार मिल रहा था. इससे पहले 27 मई को विभाग के आदेश में ये स्पष्ट था कि लेबर 26 लाख से घटकर 23 लाख हो गई. यानी पीक टाइम में एक महीने के भीतर 11 लाख श्रमिको का रोजगार छिन गया. ये खबर प्रसारित होते ही मनरेगा में आंकड़ों को बदलने का खेल चला. 

ज़ी मीडिया की खबर के बाद मनरेगा में आंकड़ों की हेराफेरी, रातों-रात 8 लाख श्रमिकों को दिया रोजगार

Jaipur: मनरेगा में रोजगार के नाम पर आंकड़ों की हेराफेरी का बड़ा खेल सामने आया है. ज़ी मीडिया ने कल मनरेगा से रोजगार छिनने की खबर को प्रमुखता से क्या दिखाया, ग्रामीण विकास विभाग में हलचल मच गई. पहले विभाग ने मनरेगा में रोजगार को शून्य बता दिया, फिर बाद में आंकड़े बढ़ाने का खेल चला.

1 दिन में 8 लाख श्रमिकों को रोजगार देने का खेल
मनरेगा की वेबसाइट के मुताबिक, 1 जून को करीब 15 लाख मजदूरों को रोजगार मिल रहा था. इससे पहले 27 मई को विभाग के आदेश में ये स्पष्ट था कि लेबर 26 लाख से घटकर 23 लाख हो गई. यानी पीक टाइम में एक महीने के भीतर 11 लाख श्रमिको का रोजगार छिन गया. ये खबर प्रसारित होते ही मनरेगा में आंकड़ों को बदलने का खेल चला. 1 जून को मनरेगा में श्रमिकों की संख्या 15 लाख थी. आज सुबह ये आंकड़ा जीरो कर दिया, ज़ी मीडिया ने इस आंकड़े पर सवाल उठाए तो आंकड़ा बदलकर 23 लाख कर दिया.एक ही दिन में विभाग ने 8 लाख से ज्यादा मजदूरों को मनरेगा में रोजगार दे दिया. इस तरह से विभाग लगातार मनरेगा में रोजगार के आंकड़ों के साथ मजाक करता रहा.

मानव दिवस के आंकड़ों से खुली पोल
पिछले साल मई के महीने में मानव दिवस 94% था,लेकिन इस साल 63% लक्ष्य हासिल कर पाया है.इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा योजना में रोजगार देने में कितना सफल रहा. मनरेगा संविदाकर्मियों की हड़ताल का असर इस योजना पर दिखाई दे रहा है लेकिन विभाग के मंत्री रमेश मीना इस बात को मानने को तैयार नहीं है.

जिम्मेदार क्या बोले- 
ग्रामीण विकास-पंचायतीराज प्रमुख सचिव अपर्णा अरोरा ने कहा कि पूरे मामले को दिखवाते हैं. तकनीकी कारणों के चलते ऐसा हो सकता है.
ग्रामीण विकास सचिव केके पाठक ने चुप्पी साध ली, इस संबंध में उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. बार-बार फ़ोन किया, मैसेज करके मुद्दा बताया लेकिन वे खामोश रहे.
मनरेगा आयुक्त शिवांगी स्वर्णकार बोली, तकनीकी कारण से ऐसा हुआ है. आपके 15 लाख के रोजगार का आंकड़ा गलत है लेकिन ये आंकड़ा भी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट का ही था तो ये आंकड़ा गलत कैसे हो गया. जब हमने 1 जून की रिपोर्ट मांगी तो उनका कोई जवाब नहीं आया.

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