खंडेलाः लुहारवास स्कूल में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं विद्यार्थी, ये है बड़ी वजह
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खंडेलाः लुहारवास स्कूल में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं विद्यार्थी, ये है बड़ी वजह

सीकर के खंडेला पंचायत समिति की कोटड़ी लुहारवास ग्राम पंचायत के लुहारवास ग्राम में संचालित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चे को जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं, तो जर्जर भवन हर दम हादसे को न्यौता दे रहा है.

खंडेलाः लुहारवास स्कूल में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं विद्यार्थी, ये है बड़ी वजह

खंडेलाः पिछले 5 साल से पौने दो सौ विद्यार्थी सीकर के लुहारवास विद्यालय भवन जर्जर होने के कारण भय के साए में पढ़ने को मजबूर हैं. विद्यालय में बने पांच कमरे वर्ष 2017 में सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा नकारा घोषित किए जा चुके हैं. बावजूद इसके संबंधित किसी भी विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है. इसका खामियाजा विद्यालय में पढ़ने वाले पौने दो सौ विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई तो चौपट हो ही रही है, दूसरी ओर हमेशा डर के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. 

सिर्फ निरीक्षण कर लौट जाते हैं

विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं ने अपने हालात बयां करते हुए बताया कि सर्दी गर्मी और बरसात के मौसम में बाहर एकमात्र नीम के पेड़ की छांव में बैठकर शिक्षा हासिल करनी पड़ रही है. गांव में अन्य कोई विद्यालय नहीं होने के कारण भी अभिभावक इन मासूमों को अन्यत्र विद्यालय में भी नहीं भेज सकते. विद्यालय में समय-समय पर ब्लॉक स्तर से जिला स्तर के अधिकारी के आने के बाद भी वो इस ओर ध्यान नहीं देते हैं. निरीक्षण कर लौट जाते हैं. हालात जस के तस हैं. कोई कार्रवाई नहीं हुई.

 स्कूल में बने 5 कमरों के जर्जर होने की लिखित जानकारी शिक्षा विभाग के ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा कई बार भिजवाई जा चुकी है, लेकिन पिछले 5 साल में कोई कदम नहीं उठाया गया. फिलहाल भय के साए में बच्चों को बैठाकर विद्यालय का संचालन किया जा रहा है.

ऐसे होती है व्यवस्था

स्कूल के पांचों कमरे जर्जर हालत में होने की वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित ना हो इसके लिए विद्यालय द्वारा मौसम के अनुसार व्यवस्था की जाती है. व्यवस्था के अनुसार सर्दियों के मौसम में खुले आसमान के नीचे अध्ययन करवाया जाता है. वहीं, गर्मियों के मौसम में विद्यालय में लगे एक नीम के पेड़ के नीचे बच्चों को एकत्रित कर अध्ययन करवाया जाता है. बरसात के मौसम में हालत और भी बदतर हो जाते हैं, जिसकी वजह से स्कूल में लगे टिन शेड के नीचे खड़े रहकर समय गुजारना पड़ता है.

भवन को 2017 में नकारा किया घोषित
2016 में भवन की जर्जर हालत को लेकर स्कूल प्रबंधन ने उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई. जिस पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने भवन का अवलोकन कर उसे 2017 में नकारा घोषित कर दिया. पांच साल गुजर जाने के बाद भी हालात जस के तस बनी हुई हैं.

खनन जोन से कुछ दूरी पर है, स्कूल
आलम यह है कि स्कूल माइनिंग जॉन से कुछ दूरी पर ही स्थित है. खानों में ब्लास्टिंग होती है, तो तेज धमाके होते हैं. उन धमाकों से नकारा हो चुके कमरे कभी भी गिर सकते हैं.

अध्यापकों के पद भी रिक्त
स्कूल में अध्यापकों के पद रिक्त चल रहे हैं, प्रधानाध्यापक सहित अन्य तीन अध्यापकों के पद भी रिक्त हैं. इन पदों के रिक्त होने के बावजूद भी इस स्कूल के 2 अध्यापकों को बीएलओ का कार्यभार भी दे रखा है. जो विद्यालय से आठ से दस किलोमीटर की दूरी पर हैं. 

जानें क्या कहते हैं अधिकारी
सुल्तानराम पालीवाल सीबीईओ खंडेला ने कहा कि व्यवस्था दुरुस्तीकरण के प्रस्ताव बनाकर स्कूल प्रबंधन ने उच्च अधिकारियों को भिजवायें हैं. इसके अलावा खनन विभाग ने भी प्रस्ताव मांगा था. उनको भी प्रस्ताव बनाकर भिजवा दिया गया है. जैसे ही कोई निर्देश प्राप्त होंगे उसके हिसाब से कार्यवाही की जाएगी.

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