Diwali 2022: उदयपुर के बाजारों में बूम दिखई दे रही है. बाजारों में उमड़ी भीड़ से व्यापारियों की बल्ले-बल्ले हो गई है तो वहीं पर्यटक भी उत्साहित नजर आ रहे हैं.
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Diwali 2022: दीपावली के पर्व को लेकर लेकसिटी उदयपुर के बाजारों में रौनक लौट आई है. बाजारों में खरीदारों की भीड़ उमड़ी हुई है. बाजारों में उमड़ रहे सैलाब से व्यापारी वर्ग काफी उत्साहित दिख रहा है. व्यापारियों का कहना है कि इस बार बाजारों में लोगों की भीड़ पिछले कुछ वर्षो की तुलना में लगभग दोगुणी है. ज्वैलरी के शो रूम हो या बर्तन और पटाखों की दूकान हो, हर जगह लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है.
दो साल के कारोना संक्रमण के दौर ने त्योहारी सीजन काफी प्रभावित किया था. कोरोना के चलते लोग त्योहार नहीं मना पा रहे थे, जिसका सीधा असर बाजारों में देखने को मिला, लेकिन कोरोना संक्रमण का दौरान अब लगभग पूरी तहर से बीत चुका है. यही कारण है कि विरान और सुनान पडे़ बाजारों में त्योहारों की रौनक लौट आई है. दो साल के लम्बे अंतराल के बाद बाजारों में खरीदारों की बुम देखी जा रही हैै. बाजारों में खरीदारों की भीड़ को देख व्यापारी वर्ग भी काफी उत्साहित है. व्यापारियों के चेहरे खिले हुए है. तो वहीं बाजारों में लोगों को रिझाने के लिए कई सारी नई वेराईटी भी आई है. तो वहीं कम्पनियों की ओर से कई सारे आफर्स भी निकाले हैं. जो लोगों को आकर्षित कर रहे है.
दोगुना हुआ उदयपुर के जवेरी बाजार का कारोबार
कोरोना का दौर बतने के बाद आई पहली दीपावली में शहर के जवेरी बाजार में जम कर धन वर्षो हो रही है. छोटी दुकाने हो या बड़े—बड़े शोरूम हर जगह सोना—चांदी खरिदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. सर्राफा कारोबारी महेन्द्र सोजतिया ने बताया कि कोरोना काल से पहले त्योहारी सीजन में उदयपुर के जवेरी बाजार का टर्नओवर करीब 400 से 500 करोड़ का होता था. लेकिन कोरोना के दौर के बाद यहा कारोबार बढ़ कर 700 से 800 करोड़ तक पहुंच रहा है. लोगों के इस उत्साह ने सर्राफा बाजार में नई जान फुंक दी है. वहीं सोने और चांदी के भाव में आई गिरावट ने भी लोगों को सर्राफा बाजार की तरफ रूझान बढ़ाया है.
खुब हो रही बर्तनों की बिक्री
उदयपुर के बर्तन बाजार की बात करें तो पूरानी मंडी की तंग गलियों की दुकाने हो या बड़ी-बड़ी दूकाने लोग बड़ी संख्या में बर्तन खरिद रहे हैं. सुबह से ही इन दुकानों पर खरीदारों के पहुंचने का क्रम शुरू हो जाता है. जो देर रात तक चलता है. बर्तन कारोबारी झमकलाल जैन ने बताया कि कोरोना के बाद लोगों में बर्तन को खरीदने का चलन भी बदला है. कोरोना काल के बाद लोग अपनी हेल्थ को लेकर काफी सजग हो गए है. जिसका प्रभाव बर्तन बाजार पर देखने को मिल रहा है. पहले जहा अधिकांश लोग एल्युमिनियम के बर्तन खरिदना पसंद करते थे. लेकिन बीते कुछ समय से बाजरों में पीतल और तांबे के बर्तनों की मांग बढ़ गई है. वहीं त्योहारी सीजन में भी पीतल और तांबे के बर्तन अधिक बिक रहे है. दीपावली त्योहार में उदयपुर के बर्तन बाजार में करीब 25 प्रतिशत का उठाव देखा गया है.
बूम पर पठाखों की बिक्री, लेकिन डिमांड नहीं हो रही पूरी
कोरोना काल में दीपावली पर्व पर आतिशबाजी पर सरकार ने रोक लगा रखी थी. जिससे पटाखों को कारोबार पूरी तरह से चौपट ही हो गया था. प्रशासन की सख्ती के चलते त्योहार के दौर में पटाखा कारोबारी अपनी दुकान ही नहीं खोल पाए थे. लेकिन इस बार आतिशबाजी पर रोक नहीं होने से पटाखा व्यवसायियों ने अपनी दुकाने खोली है, पटाखा कारोबारी आशुतोष शर्मा ने बताया कि बाजार में पटाखों की डिमांड ज्यादा है लेकिन इस बार पिछले वर्षो की तुलना में माल की सप्लाई कम हुई है. इस कारण बाजार में उठाव पूरा नहीं आ पाया है. बाजार से चाईनिज पटाखें गायब है और कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे आए है जो अपेक्षाकृत महंगे है. बावजूद इसके पटाखा बाजार में इस बार 20 से 25 प्रतिशत तक उठाव देखा जा रहा है.
चाइनिज लाईट्स का है बोल-बाला
दीपावली त्योहार पर हर व्यक्ति अपने घर को लाइट से सजाना चाहता है. यही कारण है कि सीजन के शुरू होने के साथ ही बाजार में फैन्सी लाइट्स की डिमांड बढ गई है. कुछ साल पहले चाइना आइटम के विरोध के चलते बाजार से चाइनिज लाइट गायब हो गई थी, लेकिन एक बार फिर बाजरों में चाइनिज लाइट्स बिकने लगी है. लाइट्स बेचने वाले कारोबारियों की माने तो फैन्सी लाइट्स के बाजार में चाइना का बोल बाला है. इंडियन लाइट्स में भी रो-मटेरियल चाइना का ही इस्तेमाल होता है. कोरोना काल के चलते चाइना से रॉ-मटेरियल की सप्लाइ प्रभावित हुई थी. जिसके कारण इस बार इंडियन लाइट्स का प्रोडक्शन कम हुआ है. इसी के कारण चाइनिज लाइट्स एक बार फिर बाजार पर कब्जा कर रही है. हालाकि लोगों की पहले पसंद इंडिन लाइट्स ही है. लेकिन सप्लाइ कम होने से डिमांड पूरी नहीं हो पास रही है.
बाजारों में बिक रहीं 1000 रूपए किलो की मिठाई
दीपावली त्यौहार के दौरान में मिठाईयों की खरिदारी बढ जाती है. शहर के बाजारों की तरह तरह की मीठाईयां बिक रही है. मीठाई कारोबारी की माने तो लोग घी, दुधू और ड्राई फ्रुट की मिठाईयों को ज्यादा पसंद करते है. हालाकि घी के बढे दामों का असर मिठाईयों पर भी पडा है. घी से बनने वाली मिठााईयों के दाम में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वही 400 से 500 रूपए किलो से लेकर 1000 से 1100 रूपए किलों तक की मीठाई बिक रही है.
डब्ल्यूटी
लोगों में भी उत्साह
बाजारों में दीपावली की खरिदारी करने पहुंच रहे लोगों में काफि उत्साह देखने को मिल रहा है. कुछ लोग दीपावली पर अपना नया कारोबार शुरू करने के लिए खरिददारी कर रहे है तो वही कुछ लोग अपने घरों को सजाने के लिए.लोग भी कारोना काल के बाद की इस दीपावली को यादगार बनाने में काई कसर नहीं छोड रहे है.
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